बुंदेलखंड क्षेत्र में भारी बारिश ने खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। ललितपुर और झांसी जिलों में दलहनी फसलें विशेष रूप से प्रभावित हो रही हैं। खेतों में पानी भर जाने से उड़द और मूंग की फसलों का बीज सड़ने लगा है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका जताई जा रही है।
ललितपुर जिले में हर साल करीब 2.34 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुआई होती है, जिसका औसतन उत्पादन 1.76 लाख मीट्रिक टन रहता है, जबकि मूंग का उत्पादन औसतन 1300 मीट्रिक टन होता है। लेकिन इस बार की अतिवृष्टि के चलते अब तक केवल 60–70% क्षेत्र में ही बोआई हो पाई है और जहाँ हुई भी है, वहाँ बीज खराब हो चुके हैं।
इसी तरह झांसी में भी दलहनी फसलों की स्थिति चिंताजनक है। पूरे संभाग में उड़द और मूंग की कुल बोआई अब तक मात्र 61% हो सकी है। तिलहनों में सोयाबीन की बोआई 69% दर्ज की गई है। 18 जुलाई तक जहां सामान्य बारिश 267.06 मिमी होनी चाहिए थी, वहीं इस बार 499.7 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जिससे खेतों में जलभराव की समस्या बढ़ी है।
राज्य सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए 48 टीमें भेजी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बारिश का दौर ऐसे ही जारी रहा, तो सिर्फ दलहन ही नहीं, बल्कि मोटा अनाज, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली और कपास जैसी फसलें भी प्रभावित होंगी।
यदि उत्पादन गिरता है, तो इस क्षेत्र की मिलों को अन्य जिलों से कच्चा माल खरीदना पड़ेगा, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और कीमतों को समर्थन मिल सकता है। दलहनी व्यापार पर इसका सीधा असर देखने को मिल सकता है।