आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में दालों और तिलहनों की खेती को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता कम करने की सिफारिश की गई है, जिससे व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं। सरकार फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित कर चावल और गेहूं जैसी अधिशेष फसलों की सीमा तय करने की योजना बना रही है, जिससे स्थानीय व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी। तिलहन उत्पादन में मामूली वृद्धि और आयात पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए, सरकार स्थानीय उत्पादन बढ़ाने और कृषि व्यापार को स्थिर करने की रणनीति अपना रही है। साथ ही, डिजिटल तकनीक, भंडारण क्षमताओं और बाजार तंत्र को मजबूत करने पर जोर दिया गया है, जिससे कृषि व्यापारियों और निवेशकों को स्थानीय बाजार में अधिक अवसर मिलेंगे।
नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में दालों और तिलहनों की खेती को बढ़ावा देने और जल-विद्युत गहन फसलों की सीमा तय करने की सिफारिश की गई है, जिससे व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वैश्विक अनाज उत्पादन में 11.6% हिस्सेदारी है, लेकिन उत्पादकता के मामले में देश अब भी पीछे है। अत्यधिक उर्वरक उपयोग और आयात निर्भरता को कम करने के लिए नीति सुधार की जरूरत बताई गई है।
व्यापार और निवेश के अवसर
सरकार की नई रणनीति के तहत चावल और गेहूं जैसी अधिशेष फसलों का उत्पादन सीमित कर दालों और तिलहनों की खेती को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। भारत तिलहनों और दालों का प्रमुख आयातक है, और यदि घरेलू उत्पादन बढ़ता है, तो व्यापारियों और निवेशकों के लिए स्थानीय व्यापार के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा, जलवायु-अनुकूल फसलें और परती भूमि में खेती को प्रोत्साहन मिलने से कृषि व्यापार क्षेत्र में नए अवसर विकसित होंगे।
दालों और तिलहनों के कारोबार पर असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि तिलहन उत्पादन में सिर्फ 1.9% की वृद्धि हुई है, जिससे भारत को तिलहनों और खाद्य तेलों के लिए आयात पर भारी खर्च करना पड़ता है। सरकार फसल विविधीकरण को बढ़ावा देकर स्थानीय आपूर्ति को मजबूत करने की योजना बना रही है, जिससे व्यापारियों को स्थानीय बाजारों में स्थिर कीमतों और आपूर्ति का लाभ मिल सकता है।
रोजगार और व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि
कृषि क्षेत्र में पिछले छह वर्षों में 2% की वृद्धि हुई है और रोजगार दर 46.1% तक पहुंच गई है। महिलाओं की भागीदारी 64.4% तक बढ़ने से कृषि आधारित स्टार्टअप्स और महिला उद्यमियों के लिए भी नए अवसर बनेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल कृषि तकनीक और भंडारण क्षमताओं में सुधार से कृषि व्यापार में नए निवेश अवसर उभरेंगे।
बाज़ार तंत्र और मूल्य स्थिरता
आर्थिक सर्वेक्षण में बाज़ार तंत्र को मजबूत करने, मूल्य अस्थिरता को नियंत्रित करने, और विकसित कृषि आपूर्ति श्रृंखला बनाने पर जोर दिया गया है। यह नीति सुधार दालों और तिलहनों के थोक व्यापार, निर्यात और कृषि स्टॉकिंग सेक्टर के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
निष्कर्ष: सरकार की इस पहल से कृषि व्यापार में स्थिरता और आत्मनिर्भरता आएगी, जिससे व्यापारी और निवेशक स्थानीय उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर अधिक मुनाफा कमा सकेंगे। आने वाले वर्षों में दालों और तिलहनों के व्यापार में नए अवसर विकसित होंगे, जिससे इस क्षेत्र में व्यापक आर्थिक विकास की संभावनाएं बनेंगी।