रबी सीजन में 32 लाख टन दलहन खरीदेगी सरकार, चना खरीदी पर खास फोकस!

ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया से कर-मुक्त आयात के कारण घरेलू बाजार में चना की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत 21.64 लाख टन चना खरीदने की मंजूरी दी है। इसके अलावा...........पूरी खबर पढ़ने के लिए Amotrade डाउनलोड करें

Agriculture 17 Mar
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नई दिल्ली: सरकार ने रबी सीजन में 32 लाख टन से अधिक दलहन की खरीद करने की योजना बनाई है, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, इस साल चना उत्पादन 4.49% बढ़कर 1 करोड़ 15 लाख 35 हजार टन होने की संभावना है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया से कर-मुक्त आयात के कारण घरेलू बाजार में चना की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत 21.64 लाख टन चना खरीदने की मंजूरी दी है। इसके अलावा, चना के कर-मुक्त आयात की समय सीमा 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है, जबकि पीली मटर के लिए यह अवधि 31 मई 2025 तक कर दी गई है। दूसरी ओर, मसूर के आयात पर 10% शुल्क लगा दिया गया है, जिससे घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद है।

इस साल विभिन्न राज्यों में चना की खरीदी के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं। मध्य प्रदेश में 25 मार्च से 31 मई के बीच 7.28 लाख टन, महाराष्ट्र में 7.08 लाख टन, गुजरात में 2.66 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 1.96 लाख टन चना खरीदने की योजना है। अन्य राज्यों में कर्नाटक में 96,498 टन, आंध्र प्रदेश में 74,945 टन, तेलंगाना में 37,083 टन, छत्तीसगढ़ में 52,738 टन और हरियाणा में 2,718 टन चना खरीदा जाएगा। तेलंगाना में 12 मार्च तक 1,055 टन चना की खरीद पूरी हो चुकी है।

मसूर की खरीदी को लेकर भी सरकार ने ठोस योजना तैयार की है। इस साल देश में मसूर का उत्पादन मामूली बढ़कर 18.17 लाख टन होने का अनुमान है। विभिन्न मंडियों में मसूर की कीमत 5,100 - 16,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच देखी जा रही है। सरकार ने मध्य प्रदेश में 7.79 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 1.56 लाख टन मसूर की खरीदारी की योजना बनाई है।

सरकारी खरीद बढ़ने से चना और मसूर की कीमतों में स्थिरता रहने की संभावना है। हालांकि, कर-मुक्त आयात के कारण चना के बाजार मूल्य पर दबाव बना रह सकता है। वहीं, मसूर पर 10% आयात शुल्क लगने से घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। किसानों और व्यापारियों को इन नीतियों पर ध्यान देना होगा, क्योंकि यह बाजार के उतार-चढ़ाव को प्रभावित कर सकती हैं।

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