मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इस साल मूंग की फसल की MSP पर खरीदी न करने का एलान किया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव और राज्य सरकार का कहना है कि मूंग की फसल को जल्दी तैयार करने के लिए किसान 'बीड़ी साइड' नामक खरपतवार नाशक का भारी मात्रा में उपयोग कर रहे हैं, जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इसी वजह से इस बार राज्य में सरकारी खरीदी नहीं होगी और किसान अपनी मूंग की उपज को खुले बाजार में बेचने को मजबूर होंगे।
बुधवार को इंदौर में रबी एवं खरीफ 2025 की फसल के कार्यक्रम निर्धारण के लिए आयोजित संभागीय बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने यह जानकारी साझा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव पहले ही मूंग खरीदी पर रोक की घोषणा कर चुके हैं क्योंकि खेतों में बीड़ी साइड जैसे जहरीले पेस्टीसाइड्स का अत्यधिक उपयोग सामने आया है।
मुख्यमंत्री पहले भी इस स्थिति पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। किसानों द्वारा मूंग को 60–65 दिनों में तैयार करने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है ताकि फसल मानसून आने से पहले समर्थन मूल्य पर बिक सके। इस साल बारिश समय से पहले आने की संभावना को देखते हुए मूंग की जल्दी कटाई की प्रवृत्ति और बढ़ी है।
राज्य में लगभग 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की खेती होती है, जिससे करीब 120 मीट्रिक टन उत्पादन होता है। बीते वर्षों की तरह किसानों को उम्मीद थी कि सरकार मूंग को भी गेहूं की तरह ₹8700 प्रति क्विंटल की दर से खरीदेगी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
इस निर्णय से किसान आक्रोशित हैं। भारती किसान संघ और कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ ने सरकार से मूंग की खरीदी नीति घोषित करने की मांग की है। कई जिलों — जैसे नर्मदापुरम, हरदा, देवास, रायसेन और बैतूल — में किसान प्रदर्शन भी कर रहे हैं। पिछले साल 20 मई से मूंग की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जबकि इस बार अब तक कोई आधिकारिक पहल नहीं हुई है।
अगर सरकार खरीदी नहीं करती, तो यह मूंग सीधे मंडियों के रास्ते आम बाजार में पहुँचेगी — जहाँ इसका दाम ₹6000 से ₹7000 प्रति क्विंटल के बीच रहेगा। इससे जहरीले पेस्टीसाइड युक्त मूंग आम उपभोक्ताओं की थाली तक पहुंचेगी, जिसका असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
बैठक में वरिष्ठ अधिकारी जैसे उद्यानिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन, कृषि सचिव एम. शेलवेन्द्रम, इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह, मार्कफेड एमडी के आलोक सिंह, सहकारिता आयुक्त मनोज पुष्प और अन्य जिलों के कलेक्टर्स भी मौजूद रहे।
सरकार का कहना है कि यह निर्णय कठिन लेकिन जनहित में आवश्यक है। किसानों के लिए यह स्थिति झटका जरूर है, लेकिन मूंग की गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी से पीछे हट गई है।