सरसों उद्योग संकट में: नई सरसों के आने तक आयल मिलों की हालत खराब
सरसों उद्योग गंभीर संकट में है। नई फसल में 5 लाख टन तक की कमी का खतरा है, जबकि आयल मिलों की पिराई क्षमता घटी है। डीडीजीएस के बढ़ते आकर्षण से सरसों मील की मांग कमजोर हुई, जिससे 30% आयल मिलें बंद हो गई हैं। नाफेड और किसानों के पास सीमित स्टॉक है। मोपा ने सरकार से वायदा कारोबार शुरू करने और निर्यात बढ़ाने की अपील की है। सरकारी सहायता के बिना स्थिति सुधरने की संभावना नहीं।
मुख्य बिंदु:
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सरसों की पिराई घटने की संभावना:
नई सरसों आने तक आयल मिलें हर महीने केवल 7 लाख टन सरसों की पिराई कर पाएंगी। -
स्टॉक की स्थिति:
नाफेड के पास स्टॉक: 16 लाख टन
कारोबारी और किसान के पास: 9 लाख टन
अनुमान है कि नाफेड और किसानों के पास 7 लाख टन सरसों अगले साल के लिए बची रहेगी।
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सरकार से अपील:
मोपा की हालिया बैठक में सरकार से वायदा कारोबार जल्द शुरू करने की अपील।
सरसों मील निर्यात को बढ़ावा देने के उपाय करने का अनुरोध।
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नई फसल पर असर:
मौसम प्रतिकूल होने के कारण इस बार सरसों की बुवाई पिछले साल से कम।
नई फसल में 5 लाख टन की कमी का खतरा।
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डीडीजीएस (DDGS) से प्रतिस्पर्धा:
सरसों मील की मांग में गिरावट।
आयल मिलों की 30% इकाइयां बंद।
डीडीजीएस (Distiller Grain Distilled Solids) का आकर्षण बढ़ा, जिससे सरसों खली की मांग घटी।
निष्कर्ष:
सरसों उद्योग को उबारने के लिए सरकारी मदद जरूरी। बिना समर्थन के आयल मिलें और अधिक प्रभावित होंगी।