सीमित सप्लाई और कमजोर खपत: सरसों बाजार में व्यापारियों की सतर्कता बढ़ी
सरसों बाजार में इस सप्ताह सुस्ती का रुख देखने को मिला, जहां मिलों की मांग कमजोर रही और खल के भाव में गिरावट दर्ज की गई। सीमित आपूर्ति के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार की मजबूती ने सरसों की गिरावट को नियंत्रित रखा। जयपुर में सरसों का भाव 6525 रुपये प्रति क्विंटल के मजबूत सपोर्ट स्तर पर रहा। निकट भविष्य में बाजार की चाल नाफेड की बिकवाली और अंतरराष्ट्रीय रुझानों पर निर्भर करेगी।
सरसों बाजार में इस सप्ताह व्यापारिक दृष्टि से नरमी देखने को मिली, जिसका मुख्य कारण मिलों की सुस्त मांग और खल के भाव में गिरावट रहा। मिलों के लिए क्रशिंग अनुपात में नुकसान के चलते ऊंचे भाव पर खरीदारी रुकी हुई है। इस बीच, सीमित आपूर्ति के बावजूद सरसों का बाजार स्थिर नहीं रहा, और भावों में गिरावट दर्ज की गई।
खल की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट ने मिलों की लागत और व्यापार गणना पर असर डाला। वहीं, नाफेड और हाफेड द्वारा अब तक लगभग 10 लाख टन सरसों की बिक्री के बाद स्टॉक सीमित रह गया है। फिलहाल, उनके पास अनुमानित 14-15 लाख टन का स्टॉक बचा है, जो बाजार के अगले रुझान को प्रभावित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार में मजबूती के कारण सरसों की गिरावट सीमित रही। हालांकि, राजस्थान और गुजरात में बुवाई की स्थिति और कम उत्पादन की संभावना (10-15% तक) ने बाजार की लंबी अवधि के रुझान को सकारात्मक बनाए रखा है। जयपुर में सरसों का भाव 6525 रुपये प्रति क्विंटल के करीब है, जो एक मजबूत सपोर्ट लेवल माना जा रहा है।
व्यापारियों के लिए वर्तमान समय में ध्यान रखने योग्य है कि सरसों की चाल अंतरराष्ट्रीय बाजार और नाफेड की आगे की बिक्री पर निर्भर करेगी। अल्पकालिक रूप से भावों में 75-100 रुपये की गिरावट और 150-200 रुपये की तेजी की गुंजाइश बनी हुई है। ऐसे में व्यापारी भाव के मौजूदा स्तर पर खरीदारी की रणनीति के साथ बाजार की स्थिति पर नजर बनाए रखें।
सरसों के व्यापार में सुरक्षित और लाभकारी सौदों के लिए यह समय सावधानीपूर्वक योजना बनाने का है।