सरसों और सोयाबीन: मांग में कमी, भाव पर दबाव
इस सप्ताह कृषि बाजार में सरसों और सोयाबीन दोनों पर मांग में कमी का असर देखा गया। ऊपरी स्तरों पर मांग घटने से सरसों के भाव में गिरावट दर्ज की गई। खल की मांग सुस्त पड़ने से इसके भाव ₹100/क्विंटल तक गिर गए। इसी तरह, सोयाबीन की कमजोर मांग के चलते इसके भाव भी ₹100-₹150/क्विंटल तक घट गए।
सरसों की बुवाई में कमी और किसानों के पास स्टॉक में गिरावट ने भाव में स्थिरता बनाए रखी। जनवरी की शुरुआत में किसानों के पास 6.5 लाख टन सरसों का स्टॉक है, जबकि पिछले साल यह 9.5 लाख टन था। दूसरी ओर, सोयाबीन का निर्यात 30% घटकर 1.83 लाख टन रह गया, जिससे इसकी कीमतों पर भी दबाव बना।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन पर कमजोरी का दबाव अधिक रहा। वहीं, सरसों को मंडियों में आवक घटने और नाफेड की धीमी बिकवाली का समर्थन मिला, जिससे इसकी गिरावट पर लगाम लगी।
तेल बाजार: सरसों और सोया तेल में हलचल
तेलों के बाजार में सरसों और सोया तेल दोनों में गिरावट देखी गई। कच्ची घानी सरसों तेल की कीमतें 1350 रुपये/किलो पर स्थिर रहने के बाद ₹3-₹35/किलो तक गिर गईं। सोया तेल की कीमतें भी ₹2-₹3/किलो सस्ती हो गईं।
सोया तेल के आयात में दिसंबर महीने में 175% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे इसकी सप्लाई बेहतर हुई। पाम, सन और सरसों तेल की तुलना में सोया तेल सस्ता होने के कारण इसकी मांग बढ़ने की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में, अर्जेंटीना और सीबीओटी सोया तेल समर्थन स्तर के करीब कारोबार कर रहे हैं, जिससे इनकी कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना कम है। वहीं, सरसों तेल की कीमतें सीमित दायरे में रह सकती हैं, और नई फसल की आवक बढ़ने तक इसमें स्थिरता बने रहने का अनुमान है।
भविष्य की संभावनाएं और व्यापारिक सलाह
सरसों और सोयाबीन में मार्च के अंत तक नई फसल की आवक के साथ कीमतों में गिरावट का अनुमान है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरसों और सोयाबीन में गिरावट के दौरान खरीदारी पर ध्यान दिया जाए।
सोयाबीन की कीमतें अगले 1-2 महीनों में ₹4330-₹4570/क्विंटल के दायरे में रह सकती हैं। ₹4350 के करीब खरीदारी और ₹4550 के करीब मुनाफावसूली की सलाह दी जा रही है।
सोया तेल में ₹2-₹3/किलो की और गिरावट संभावित है, जो खरीदारी के लिए अनुकूल हो सकती है। पाम और सन तेल के मुकाबले सस्ता होने के कारण, सोया तेल में मांग अच्छी बने रहने की संभावना है।
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर, सरसों, सोयाबीन, और सोया तेल बाजार में गिरावट के बावजूद स्थिरता की उम्मीद है। किसानों और व्यापारियों को गिरावट के दौरान खरीदारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि दीर्घकालिक मांग के चलते बाजार में सुधार संभव है।