इस सप्ताह सोया तेल और सरसो बाजार में तेजी का माहौल देखा गया। वैश्विक स्तर पर सीबीओटी सोया तेल में 14% वृद्धि हुई, जिसका कारण बाइडेन प्रशासन का रीन्यूएबल फ्यूल समर्थन, अमेरिका में सोयाबीन स्टॉक की कमी, और संभावित आयात शुल्क वृद्धि रहा। भारतीय बाजार में सोया तेल की कीमतें 3.5 रुपये बढ़कर 1250 रुपये तक पहुंचीं, जबकि इंदौर लाइन में 6-7 रुपये प्रति किलो की वृद्धि हुई। आगामी हफ्तों में कांडला सोया तेल 1300 और इंदौर लाइन 1340 के स्तर तक पहुंच सकता है, हालांकि व्यापारियों को मुनाफावसूली की सलाह दी गई है। सरसो बाजार में अंतरराष्ट्रीय मजबूती से 100-150 रुपये की बढ़त देखी गई, लेकिन नई फसल की आवक से भावों में गिरावट की संभावना है। जयपुर सरसो का रेजिस्टेंस स्तर 6850 रुपये है, जो गिरावट के बाद 6000 रुपये तक आ सकता है, यह खरीदारी का अवसर हो सकता है।
इस सप्ताह बाजार में सोया तेल और सरसो की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सोया तेल में जहां वैश्विक और घरेलू दोनों कारणों से मजबूती रही, वहीं सरसो तेल में भी अंतरराष्ट्रीय बाजार की मजबूती के चलते सकारात्मक रुख देखा गया।
सोया तेल में 14% की वैश्विक तेजी के मुख्य कारणों में बाइडेन प्रशासन द्वारा रीन्यूएबल फ्यूल उत्पादन को प्रोत्साहन, कैनोला आयल पर टैरिफ के कारण जैव ईंधन मिश्रण में कमी, और अमेरिका में सोयाबीन स्टॉक की कमी शामिल रहे। सीबीओटी (मार्च) में 45.50 के प्रतिरोध स्तर को पार करने की संभावना जताई गई, जिससे वायदा कीमतें 50 तक पहुंच सकती हैं। भारतीय बाजार में भी इसका प्रभाव दिखा, जहां सोया तेल के दाम 1250 रुपये तक पहुंचे और इंदौर लाइन पर 6-7 रुपये प्रति किलो की बढ़त दर्ज की गई। लैंडिंग कॉस्ट में मजबूती से 5 रुपये प्रति किलो की आयात डिस्पैरिटी भी देखी गई।
वैश्विक स्तर पर चीन के डीसीई और सीबीओटी सोया तेल में मजबूती दिखी, जबकि मलेशिया के कमजोर पाम तेल निर्यात ने केएलसी को उच्च स्तर से थोड़ी गिरावट दी। जैव ईंधन नीति ने इन बाजारों को संचालित किया, और पाम तेल के साथ सोया तेल का अंतर कम होने से पाम तेल की मांग में वृद्धि की संभावना बनी।
सरसो बाजार में अंतरराष्ट्रीय बाजार की मजबूती ने तेजी को सहारा दिया। मंडियों में सरसो के भाव में 100-150 रुपये और मिल डिलीवरी भाव में 200-250 रुपये की बढ़त दर्ज की गई। सोया तेल की तेजी ने सरसो तेल की मांग को बढ़ाया, जिससे इसमें 3-4 रुपये प्रति किलो का सुधार हुआ। हालांकि, खल की कमजोर घरेलू और निर्यात मांग के बावजूद, तेल-तिलहन में 30-40 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बनी रही।
आगे की रणनीति के अनुसार, नई फसल की आवक से सरसो और सोया तेल दोनों की कीमतों में दबाव देखा जा सकता है। जयपुर सरसो का 6850 रुपये का रेजिस्टेंस स्तर है, जहां अस्थायी तेजी रुक सकती है। वहीं, नई फसल आने पर भाव 6000 रुपये तक गिरने की संभावना है, जिसे खरीदारी के अवसर के रूप में देखा जा सकता है। दूसरी ओर, सोया तेल में 4-5 रुपये की संभावित बढ़त के बाद मुनाफावसूली की सलाह दी गई है।
संक्षेप में, वैश्विक और घरेलू बाजार के कारकों ने दोनों उत्पादों में तेजी और संभावित गिरावट के संकेत दिए हैं, जिससे व्यापारियों को मुनाफावसूली और नई रणनीतियां बनाने की सलाह दी गई है।