देश में रबी सीजन की मक्का फसल इस वर्ष लगभग 15 दिनों की देरी से मंडियों में पहुंची है, लेकिन अब इसकी आवक में तेजी देखने को मिल रही है। अगले 15 से 20 दिनों में मक्का की आवक अपने पीक पर पहुंचने की उम्मीद है। खासकर...........
देश में रबी सीजन की मक्का फसल इस वर्ष लगभग 15 दिनों की देरी से मंडियों में पहुंची है, लेकिन अब इसकी आवक में तेजी देखने को मिल रही है। अगले 15 से 20 दिनों में मक्का की आवक अपने पीक पर पहुंचने की उम्मीद है। खासकर बिहार में, नई मक्का के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2225 प्रति क्विंटल से भी नीचे जाने की संभावना जताई जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस वर्ष देश में रबी की मक्का फसल का उत्पादन 124.8 लाख टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले वर्ष के 120.28 लाख टन के मुकाबले 3.44% अधिक है। अकेले बिहार में ही मक्का उत्पादन में 15% की वृद्धि अनुमानित है। खरीफ और रबी दोनों सीजन मिलाकर देश का कुल मक्का उत्पादन इस वर्ष 372.5 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है।
मक्का की बढ़ती उपलब्धता के बावजूद, मांग भी लगातार तेज़ी से बढ़ रही है। एथेनॉल उत्पादन में मक्का की बढ़ती भागीदारी के चलते चालू सीजन में देश को कुल 475.1 लाख टन मक्का की आवश्यकता होगी। इस मांग में से 222.5 लाख टन पोल्ट्री फीड के लिए, 54.7 लाख टन पशुआहार के लिए, 59.1 लाख टन स्टार्च उद्योग हेतु और 102.6 लाख टन एथेनॉल उत्पादन के लिए आवश्यक होगा। इस मांग की पूर्ति के लिए देश को अनुमानतः 100 लाख टन मक्का का आयात भी करना पड़ सकता है।
फिलहाल बिहार की फोरबेसगंज मंडी में नई मक्का की आवक शुरू हो चुकी है, जहां रोज़ाना 500 से 600 टन मक्का पहुँच रही है। आने वाले एक महीने में यह आवक बढ़कर 2000 से 3000 टन प्रतिदिन तक पहुंच सकती है। इस बढ़ती हुई आपूर्ति के चलते कीमतों में और गिरावट की संभावना बनी हुई है।
इस गिरते हुए मूल्य पर आरारोट (स्टार्च) उद्योग पर भी प्रभाव पड़ना तय है। पहले ही बाजार में स्टार्च की कीमतों में गिरावट देखी गई है और अब मक्का के सस्ते होते ही आरारोट के दाम में और नरमी आने की संभावना है। उद्योग से जुड़े विश्लेषकों का मानना है कि मक्का की लागत घटने से स्टार्च निर्माण की लागत भी गिरेगी, जिससे बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ेगा।
कुल मिलाकर, एक ओर जहां मक्का उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर की संभावना है, वहीं दूसरी ओर कीमतों में गिरावट से किसान और उद्योग दोनों को रणनीति के तहत आगे बढ़ने की जरूरत है।