दलहन बाजार में बढ़ी आपूर्ति और कमजोर मांग के चलते चना, तुवर और मटर के भाव में गिरावट देखने को मिल रही है। चने का MSP 5640 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन बुआई और आयात बढ़ने से भाव दबाव में हैं। तुवर की कीमतें भी कर्नाटक और महाराष्ट्र की फसल के दबाव में कमजोर हुई हैं, जबकि मटर का शुल्क मुक्त आयात 2025 तक बढ़ाए जाने से इसके भाव स्थिर हैं। बाजार में चने की कीमतों में तेजी की संभावना बनी हुई है, लेकिन तुवर और मटर में मंदी जारी रहने की उम्मीद है।
चना: सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2023-24 में 5440 रुपये से बढ़ाकर 5640 रुपये प्रति क्विंटल किया है। इसके बावजूद, चने की कीमतों में गिरावट जारी है। प्रमुख कारणों में ऑस्ट्रेलिया से चने का अधिक आयात और बुआई में वृद्धि है। 16 दिसंबर तक चने की बुआई 86 लाख हेक्टेयर रही, जो पिछले साल 84.42 लाख हेक्टेयर थी।
पिछले साल की बंपर पैदावार और बढ़ती आवक से चने के भाव दबाव में हैं। हालांकि, अगर चना 6500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक बना रहता है, तो कीमतें 7000 रुपये तक पहुंच सकती हैं।
तुवर: सरकार ने तुवर का MSP 550 रुपये बढ़ाकर 7550 रुपये प्रति क्विंटल किया है। समय पर बारिश के चलते महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में तुवर की बुआई अच्छी हुई। हालांकि, कर्नाटक की फसल मंडियों में आने से तुवर के भाव कमजोर हो गए हैं। महाराष्ट्र की लेमन तुवर 81-82 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जबकि कमजोर मांग के चलते इसके भाव 77 रुपये तक गिर गए हैं। दाल बाजार में सुस्ती के कारण तुवर में अगले कुछ दिनों में 7-8 रुपये प्रति किलो तक और गिरावट की संभावना है।
मटर: सरकार ने मटर के शुल्क मुक्त आयात को 28 फरवरी 2025 तक बढ़ा दिया है। भारतीय बंदरगाहों पर भारी स्टॉक और बढ़ी हुई आयात आपूर्ति के कारण मटर के भाव स्थिर हैं। सफेद मटर 3300-3350 रुपये प्रति क्विंटल और छना हुआ मटर 3800-3850 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। मटर में निकट भविष्य में तेजी की संभावना नहीं दिख रही।
उड़द: सरकार ने उड़द का MSP 450 रुपये बढ़ाकर 7400 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। हालांकि, पिछले पखवाड़े में उड़द के भाव में गिरावट दर्ज की गई है। चेन्नई में उड़द एसक्यू 91 रुपये और एफएक्यू 82 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। नयी फसल के कारण कीमतें दबाव में हैं, लेकिन ग्राहकी बढ़ने से अगले कुछ दिनों के लिए मंदी रुक सकती है।
निष्कर्ष:
दलहन बाजार में बढ़ी हुई आपूर्ति और कमजोर मांग के कारण सभी प्रमुख फसलों – चना, तुवर, मटर और उड़द – के भाव दबाव में हैं। चने में तेजी की उम्मीद बनी हुई है, लेकिन तुवर, मटर और उड़द में मंदी का असर जारी है। किसानों और व्यापारियों को अपनी रणनीतियां बदलते बाजार के अनुरूप तय करनी होंगी।