चना बाजार में नरमी: सुस्त मांग और आयात दबाव का असर
दिल्ली सहित प्रमुख केंद्रों पर चना की कीमतों में कमजोरी का रुख देखने को मिला है। सुस्त मांग और आयातित चने के दबाव के कारण बाजार में पिछले दो सत्रों में 75-100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज हुई। फिलहाल, दिल्ली में चना की कीमतें 6875-6900 रुपये प्रति क्विंटल पर हैं। व्यापारी और खरीदार नई फसल और आयात की बढ़ती आपूर्ति के कारण और नरमी की संभावना जता रहे हैं।
शुक्रवार को दिल्ली और अन्य प्रमुख केंद्रों में चना बाजार में कमजोरी का रुख देखने को मिला। इसकी वजह प्रसंस्कृत चने की मांग में गिरावट और ऑस्ट्रेलियाई आयातित चने के वायदा भावों में कमी बताई जा रही है। खरीदार वर्तमान ऊंची कीमतों पर सतर्क बने हुए हैं, जिससे बाजार में व्यापारिक गतिविधियां धीमी हो गई हैं।
पिछले सप्ताह चने की कीमतों में 200-250 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़त देखी गई थी, क्योंकि कम दरों पर सीमित बिक्री और आयातकों की भागीदारी ने कीमतों को समर्थन दिया। हालांकि, हाल के दो सत्रों में कीमतों में करीब 75-100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है।
प्रमुख बाजारों का हाल:
दिल्ली में चने की कीमतें 75 रुपये घटकर 6875-6900 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गईं।
अन्य केंद्रों पर भी कीमतों में 25-75 रुपये प्रति क्विंटल की नरमी दर्ज की गई।
बाजार की भावना:
हालिया गिरावट कमजोर बाजार धारणा को दर्शाती है। व्यापारी चने की कीमतों में और गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं, खासकर नए ऑस्ट्रेलियाई चने की आवक बढ़ने की संभावना के कारण। हालांकि, विशेषज्ञों के बीच इस बात पर राय बंटी हुई है कि आयातित चने की बढ़ी हुई उपलब्धता का घरेलू बाजार पर कितना प्रभाव पड़ेगा।
क्या उम्मीद करें?
आने वाले हफ्तों में चना बाजार में और नरमी देखी जा सकती है, लेकिन इसका प्रमुख कारण आयात और घरेलू मांग में सुस्ती रहेगी। व्यापारी फिलहाल नई फसल की आवक और बाजार की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
निष्कर्ष:
चना बाजार में मौजूदा रुझान व्यापारियों और खरीदारों के लिए सतर्क रहने का संकेत देता है। यह समय चने के भाव में संभावित गिरावट और व्यापारिक रणनीतियों को पुनः व्यवस्थित करने का है।