सोया तेल:
भारतीय बाजारों में कमजोर मांग के चलते सोया तेल की कीमतों में 3-4 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है। नवंबर में सोया तेल का आयात 170% से अधिक बढ़ा, जिससे कांडला पोर्ट पर यह पाम तेल से 10 रुपये प्रति किलो सस्ता हो गया, और आयातकों के लिए अधिक आकर्षक बन गया।
दक्षिण अमेरिका में सोयाबीन उत्पादन बढ़ने की संभावना और अर्जेंटीना में सोया तेल की एफओबी दरों में 25-30 डॉलर/टन की गिरावट से बाजार पर दबाव बना हुआ है। सीबीओटी पर सोया तेल 41.50-42.95 के सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है, और इसे ताजा बढ़त के लिए 42.95 के ऊपर टिकना होगा।
फिलहाल, कांडला में सोया तेल 1240-1245 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा है, जो 1215 रुपये के समर्थन स्तर से थोड़ा ऊपर है। अभी भी 2-2.5 रुपये प्रति किलो की गिरावट की गुंजाइश है, जहां से रिकवरी की उम्मीद की जा रही है।
सोयाबीन:
क्रशिंग और स्टॉक:
अक्टूबर-नवंबर में 19.5 लाख टन सोयाबीन की क्रशिंग हुई, जो पिछले साल 23.5 लाख टन थी। दिसंबर की शुरुआत में सोयाबीन का कुल स्टॉक 101.29 लाख टन था, जो पिछले साल समान अवधि में 105.658 लाख टन था।
सोयमील और डीडीजीएस का प्रभाव:
अक्टूबर-नवंबर में सोयमील का निर्यात 2.41 लाख टन रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 37% कम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयमील के भाव भारतीय सोयमील की तुलना में 50-60 डॉलर/टन सस्ते हैं। वहीं, डीडीजीएस (डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्यूबल्स) ने भी घरेलू बाजार में सोयमील की मांग को कमजोर कर दिया है।
वैश्विक उत्पादन:
अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार, 2023-24 सीजन में वैश्विक सोयाबीन उत्पादन 3,948.7 लाख टन से बढ़कर 4,271.4 लाख टन होने का अनुमान है।
ब्राजील: 1,530 लाख टन से बढ़कर 1,690 लाख टन
अमेरिका: 1,132.7 लाख टन से बढ़कर 1,214.2 लाख टन
अर्जेंटीना: 400.8 लाख टन से बढ़कर 520 लाख टन
वहीं, प्रमुख आयातक देश चीन के उत्पादन में गिरावट का अनुमान है, जो 208.4 लाख टन से घटकर 200.7 लाख टन हो सकता है।
टेक्निकल विश्लेषण:
महाराष्ट्र कीर्ति प्लांट डाउनट्रेंड चैनल के समर्थन स्तर 4440 रुपये पर आ गया है। यहां से एक अस्थायी रिकवरी देखने को मिल सकती है, जो 4500 रुपये तक जा सकती है। यदि यह 4500 के ऊपर टिकता है, तो और तेजी देखने को मिल सकती है।
निष्कर्ष:
वैश्विक उत्पादन में वृद्धि और घरेलू बाजार में कमजोर मांग के चलते सोयाबीन और सोया तेल की कीमतों पर दबाव है। हालांकि, समर्थन स्तरों के करीब से रिकवरी की संभावना बनी हुई है। सरकार के नीतिगत कदम और अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझान बाजार की दिशा तय करेंगे।