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सोयाबीन और सरसों बाजार की स्थिति: गिरावट के बाद स्थिरता की उम्मीद
सोयाबीन के भाव 2023 से लगातार गिरावट पर हैं, लेकिन अब बाजार में स्थिरता की संभावना दिख रही है। विदेशी बाजारों में उत्पादन बढ़ने और दबाव के चलते निकट अवधि में तेजी की उम्मीद कम है।
सरसों के भाव सरकारी एजेंसी नाफेड की बिकवाली से दबाव में हैं। बुवाई रकबा घटने पर गिरावट रुक सकती है, लेकिन फिलहाल बड़ी तेजी मुश्किल है। मौजूदा स्तर पर व्यापार सोच-समझकर करें।
Opinion
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22 Nov 2024
सोयाबीन बाजार का हाल
भारत में सोयाबीन की खेती पिछले कुछ दशकों में किसानों के लिए लाभकारी रही है, लेकिन 2023 के बाद से भाव में लगातार गिरावट ने किसानों को चिंता में डाल दिया है।
सोयाबीन के भावों पर जलवायु परिवर्तन, रोगों का हमला और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद न होना प्रमुख कारण रहे हैं।
भारत में सोयाबीन की खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में होती है। इन राज्यों के किसान बेहतर भाव की मांग के लिए आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका खास प्रभाव भाव पर नहीं पड़ा है।
वर्तमान बाजार रुझान
हालिया गिरावट के बाद बाजार में स्थिरता देखने को मिल रही है। हालांकि, विदेशी बाजारों में सोयाबीन के तेल और दाने के भाव पर दबाव बना हुआ है।
केएलसी और शिकागो जैसे प्रमुख विदेशी बाजारों में गिरावट के कारण घरेलू बाजार भी प्रभावित हो रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन की मांग में वृद्धि हो रही है, लेकिन बड़े उत्पादन के चलते भाव बढ़ नहीं रहे हैं।
वैश्विक आपूर्ति और उत्पादन
ब्राजील, जो दुनिया का प्रमुख सोयाबीन उत्पादक देश है, वहां बाढ़ के कारण फसल की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित हुआ है।
अनुमान है कि ब्राजील का उत्पादन इस बार 422 लाख टन रहेगा, लेकिन अगर बाढ़ का प्रभाव बढ़ता है, तो वैश्विक आपूर्ति में कमी आ सकती है, जिससे कीमतों में वृद्धि संभव है।
अमेरिका में सोया तेल का स्टॉक कम है, जिससे दीर्घकालिक सकारात्मक असर सोयाबीन के दामों पर देखने को मिल सकता है।
भारत में सोयाबीन की स्थिति
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन के भाव में थोड़ी वृद्धि हुई थी, लेकिन बाजार फिर से पुराने स्तरों पर लौट आया।
पाम ऑयल पर आयात शुल्क बढ़ने के कारण सोयाबीन के भाव को थोड़ी राहत मिली, लेकिन यह अधिक समय तक टिक नहीं पाई।
सरकार की नीतियों से लंबी अवधि में सोयाबीन के भाव में वृद्धि की संभावना है, लेकिन विदेशी बाजार में सुधार न होने की स्थिति में 2024 के अंत तक बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
सरसों बाजार की स्थिति
विदेशी बाजारों में कमजोरी के कारण सरसों के भाव में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है।
सरकारी एजेंसी नाफेड द्वारा बड़े पैमाने पर सरसों की बिकवाली के चलते बाजार में सप्लाई बढ़ गई है, जिससे भाव दबाव में हैं।
नाफेड की बिकवाली रुकने के बाद बुवाई के आंकड़ों से सरसों को कुछ सपोर्ट मिल सकता है। बुवाई रकबा घटने की स्थिति में गिरावट पर ब्रेक लग सकता है।
क्या करें सरसों के व्यापार में?
सरसों के भाव में तेजी की संभावना कम है। मौजूदा स्तर पर सरसों बेचने का निर्णय लेना फायदेमंद हो सकता है।
पाम तेल के भाव 5000 के ऊपर जाने से सरसों अपने मौजूदा स्तर को होल्ड कर सकती है।
जयपुर का भाव 6500 के स्तर से नीचे जाने पर सरसों MSP के नीचे फिसल सकती है।