महाराष्ट्र में तुर बेचने वाले किसानों को बड़ी राहत मिली है। केंद्र सरकार ने तुर की ख़रीदी की समय सीमा बढ़ाकर अब 28 मई 2025 कर दी है। पहले यह डेडलाइन 13 मई तय की गई थी, लेकिन किसानों की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मार्केटिंग मंत्री जयकुमार रावल ने केंद्र से समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। राज्य के मार्केटिंग विभाग ने भी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को इसी संबंध में प्रस्ताव भेजा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
मंत्री जयकुमार रावल ने बताया कि राज्य में अब तक 1,37,458 किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया है, जिनमें से 69,189 किसानों से 1,02,951 मीट्रिक टन तुर की ख़रीदी 13 मई तक पूरी हो चुकी है। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह ख़रीदी 90 दिनों की अवधि के लिए मान्य थी, जो 13 मई को पूरी हो रही थी। बचे हुए किसानों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ मिले, इसके लिए समय सीमा बढ़ाने की ज़रूरत महसूस की गई थी।
2024-25 सीजन के लिए केंद्र ने महाराष्ट्र में 2,97,430 मीट्रिक टन तुर की ख़रीदी को मंज़ूरी दी है। इस कार्य के लिए राज्य में आठ नोडल एजेंसियों के माध्यम से 764 ख़रीदी केंद्र चालू हैं, जहां NAFED और NCCF के ज़रिए ख़रीदी की जा रही है। वर्तमान में बाज़ार में तुर के दाम कम चल रहे हैं, जिससे किसानों को ₹7,550 प्रति क्विंटल के गारंटी मूल्य पर बेचने में बड़ा लाभ मिल रहा है।
राज्य कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र ने इस साल अब तक 3.40 लाख टन तुर की ख़रीदी PSS स्कीम के तहत की है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, पूरे देश में 13.22 लाख टन तुर की ख़रीदी की स्वीकृति दी गई है। इसका उद्देश्य 10 लाख टन का बफर स्टॉक बनाकर ओपन मार्केट में ज़रूरत के समय तुर जारी कर दाम नियंत्रण में रखना है।