गेहूं बाजार में उतार-चढ़ाव: कीमतों में गिरावट और बुवाई में बढ़ोतरी की उम्मीदें

1 दिसंबर 2024 को गेहूं के खुदरा और थोक बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया, जहां खुदरा मूल्य ₹32.45 प्रति किलो और थोक मूल्य ₹2,949 प्रति क्विंटल रहा। सरकार की ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) और 4 दिसंबर को एफसीआई द्वारा आयोजित की जाने वाली 1 लाख टन गेहूं की ई-नीलामी ने व्यापारियों और स्टॉकिस्टों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं। नीलामी में छोटे व्यापारियों को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि कीमतों में गिरावट और बुवाई में बढ़ोतरी ने व्यापार जगत के लिए संभावनाओं और चुनौतियों का संतुलन पेश किया है।

Opinion 03 Dec 2024
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देश में खुदरा मुद्रास्फीति और थोक मुद्रास्फीति क्रमशः 4.4 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत पर स्थिर रही। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा गेहूं की आपूर्ति और खुले बाजार में बिक्री से जुड़े हालिया कदमों के बाद बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।

खुदरा और थोक बाजार के ताजा आंकड़े
1 दिसंबर 2024 को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 32.45 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया, जबकि थोक बाजार में इसकी कीमत 2,949 रुपये प्रति क्विंटल रही। ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं बेचने की घोषणा के बाद थोक कीमतों में लगभग 48 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई।

सरकारी नीति और नीलामी के नए नियम
खाद्य मंत्रालय ने OMSS नीति के तहत गेहूं की उचित गुणवत्ता (FAQ) के लिए 2,325 रुपये प्रति क्विंटल और शिथिल विनिर्देश (URS) के लिए 2,300 रुपये प्रति क्विंटल का आरक्षित मूल्य तय किया है। हालांकि, एफसीआई द्वारा ई-नीलामी में भाग लेने वाले व्यापारियों को परिवहन लागत और लागू करों का भी भुगतान करना होगा।
4 दिसंबर को सरकार एक लाख टन खाद्यान्न की ई-नीलामी आयोजित करने जा रही है, जिसमें कर्नाटक, बिहार, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों को गेहूं की आपूर्ति की जाएगी।

बाजार पर प्रभाव और स्टॉकिस्टों की चिंता
गुरुवार की शाम OMSS के तहत गेहूं बेचने की घोषणा के बाद शुक्रवार को थोक बाजार में कीमतें 80-90 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गईं। बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि कीमतों में 100 रुपये तक की और गिरावट हो सकती है। हालांकि, आटा मिलिंग उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि असली समस्या कीमतों की है, न कि उपलब्धता की।

किसानों का उत्साह और बढ़ती बुवाई
गेहूं की ऊंची कीमतों ने किसानों को बुवाई बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस साल बुवाई 330-331 लाख हेक्टेयर भूमि तक होने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 324 लाख हेक्टेयर से अधिक है। हालांकि, गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए ठंड के अनुकूल मौसम की जरूरत होगी।

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