बेहतर बीज, मशीनीकरण और सरकारी समर्थन से दलहनों के उत्पादन में होगी बड़ी वृद्धि
2034 तक भारत में दलहन उत्पादन बढ़कर 3.32 करोड़ टन तक पहुँचने का अनुमान
OECD-FAO की कृषि आउटलुक रिपोर्ट (2025–2034) के अनुसार, भारत में दलहनों का उत्पादन अगले दशक में 80 लाख टन बढ़कर लगभग 3.32 करोड़ टन (33.2 मिलियन टन) तक पहुँच सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से सरकारी हस्तक्षेप, कृषि तकनीक में सुधार और लगातार बढ़ते उत्पादकता स्तर का परिणाम मानी जा रही है।
वर्तमान में (2025 तक), भारत का दलहन उत्पादन 25.2 मिलियन टन है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक देश बनाता है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर दलहनों की आपूर्ति में अनुमानित 2.6 करोड़ टन की वृद्धि में 40% योगदान एशिया से होगा — और इसमें भारत की भूमिका सबसे प्रमुख रहेगी।
उत्पादन वृद्धि के प्रमुख कारण:
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उच्च उपज देने वाली हाइब्रिड बीज किस्मों का उपयोग
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दलहनी फसलों में मशीनीकरण को बढ़ावा
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न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजनाएँ, जो किसानों को मूल्य स्थिरता और आय की सुरक्षा प्रदान करती हैं
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सरकारी खरीद योजनाओं में दलहनों को शामिल करना, हालांकि इनकी पहुंच अभी भी गेहूं और चावल की तुलना में सीमित है
केंद्र सरकार के साथ-साथ कई राज्य सरकारें भी फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए दलहनों को सार्वजनिक खरीद कार्यक्रमों में शामिल कर रही हैं, जिससे किसान दलहनों के लिए अधिक भूमि आवंटित कर रहे हैं।
हालांकि इन प्रयासों से सुधार हो रहा है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि प्रोक्योरमेंट कवरेज में क्षेत्रीय असमानताएँ और बुनियादी ढांचे से जुड़ी चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं। यदि इन मुद्दों को हल किया जाए, तो भारत की उत्पादन क्षमता और मूल्य स्थिरता में और अधिक सुधार संभव है — खासकर जलवायु परिवर्तन और वैश्विक मांग में उतार-चढ़ाव को देखते हुए।
OECD-FAO का मानना है कि दलहन न केवल पोषण सुरक्षा, बल्कि जलवायु के प्रति सहनशीलता और सस्टेनेबल खेती के लिए भी एक प्रमुख फसल बन चुकी है — विशेषकर भारत जैसे देश में, जहाँ शाकाहारी भोजन में इनका प्रमुख स्थान है।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और प्लांट-बेस्ड प्रोटीन की बढ़ती मांग के चलते, भारत की भूमिका वैश्विक दलहन बाजार में 2034 तक उत्पादन और व्यापार—दोनों में और भी मजबूत और निर्णायक हो जाएगी।