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अरहर का बफर स्टॉक बनाने की कोशिशों को कैसे लगा झटका: किसानों से सीधे ये दाल क्यों खरीदना चाहती है सरकार
सरकार दाल का बफर बनाना चाहती है, जिसका उपयोग कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए विपणन हस्तक्षेप कार्यक्रमों के लिए किया जा सकता है। लेकिन, अरहर दाल की मंडी कीमतें 7000 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 50 फीसदी अधिक होने के कारण सरकारी एजेंसियां 10 लाख टन बफर स्टॉक बनाने के उद्देश्य से बाजार मूल्य पर किसानों से सीधे दाल खरीदने के लिए प्रयास कर रही हैं।
सहकारी संस्था नेफेड और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) जैसी एजेंसियों ने अब तक किसानों से केवल 20,000 टन अरहर दाल खरीदी है। सरकार ने इस साल की शुरुआत में 'डायनामिक प्राइस' फॉर्मूले के जरिए एमएसपी से ऊपर दालों की खरीद शुरू की थी। व्यापारियों का कहना है कि सरकारी एजेंसियां किसानों से बाजार मूल्य पर दालें खरीदने की इच्छुक हैं, लेकिन बफर के लिए बड़ी मात्रा में दाल खरीदना मुश्किल होगा, क्योंकि बाजार बेहतर कीमत दे रहा है। महाराष्ट्र के कारोबारी सूत्रों के अनुसार, अरहर की दाल की आवक पहले ही अधिक है और मंडी की कीमतें एमएसपी से 48 फीसदी ऊपर, 10,400 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं। आवक अगले एक महीने तक जारी रहेगी और किसान भी ऊंची कीमतों की उम्मीद में स्टॉक जमा कर रहे हैं।