सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक पीली मटर (Yellow Peas) के ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति से चना की घरेलू कीमतों में गिरावट आने की आशंका है। व्यापारियों और प्रोसेसरों का कहना है कि यह निर्णय किसानों को चना की जगह अन्य फसलों की ओर मोड़ सकता है, जिससे देश की दलहन उत्पादन स्थिरता पर असर पड़ेगा।
व्यापारियों के अनुसार, सस्ती आयातित पीली मटर का लगातार बाज़ार में आना मंडी भाव को नीचे बनाए रखेगा और इससे चना उत्पादन की हतोत्साहित होने की संभावना है। चना देश के कुल दलहन उत्पादन का लगभग 50% हिस्सा है।
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के सचिव सतीश उपाध्याय ने कहा, "हमने सरकार से कई बार आग्रह किया है कि पीली मटर पर कम से कम 50% आयात शुल्क लगाया जाए, ताकि घरेलू मंडी भाव स्थिर रहे और किसानों को प्रोत्साहन मिले।"
इस समय मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में चना के भाव ₹5200 से ₹5500 प्रति क्विंटल के बीच हैं, जबकि 2024-25 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5650/क्विंटल तय किया गया है। वहीं पीली मटर रूस और कनाडा से लगभग $360/टन (लगभग ₹3400/क्विंटल) में आ रही है और इसका उपयोग बड़े पैमाने पर बेसन बनाने में हो रहा है।
दिसंबर 2023 से अब तक 35 लाख टन से अधिक पीली मटर का आयात हो चुका है। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में लगभग 10 लाख टन पीली मटर आयातकों के पास है, जबकि देश का उत्पादन केवल 4.5 लाख टन है, जो मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है।
सरकार ने यह निर्णय 2023-24 में चना उत्पादन में गिरावट (12.26 एमटी से घटकर 11 एमटी) को देखते हुए घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए लिया था। हालांकि कृषि मंत्रालय के अनुसार 2024-25 में चना उत्पादन 11.33 एमटी रहने की उम्मीद है, लेकिन व्यापारी इसे केवल 9 एमटी मान रहे हैं। इस बीच, सरकार की एजेंसियां – नैफेड और एनसीसीएफ ने अब तक MSP पर केवल 2.9 लाख टन चना खरीदा है, जबकि बफर स्टॉक लक्ष्य 10 लाख टन है।
सूत्रों का मानना है कि सरकार को किसानों से बाजार भाव पर खरीद कर स्टॉक बनाना चाहिए था।
इससे पहले महाराष्ट्र दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सरकार से पीली मटर के ड्यूटी-फ्री आयात को रोकने और चना (बंगाल ग्राम) पर फिर से 60% आयात शुल्क बहाल करने की मांग की थी।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए अपनी मूल्य नीति में पीली मटर के आयात पर रोक लगाने की सिफारिश की थी, क्योंकि इससे घरेलू कीमतों और किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
गौरतलब है कि 2017 में चना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पीली मटर पर 50% आयात शुल्क लगाया गया था, लेकिन दिसंबर 2023 में यह छूट दी गई और समय-समय पर इसे बढ़ाया गया है।