नई दिल्ली, 1 फरवरी 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने आठवें लगातार बजट प्रस्तुति में दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने के लिए एक 6 साल का मिशन लॉन्च करने की घोषणा की है। इसके तहत विशेष रूप से तुअर, उड़द, और मसूर की फसलों पर जोर दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पहले से ही खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय मिशन चला रही है, और अब दालों के क्षेत्र में भी यही रणनीति अपनाई जाएगी।
इसके अलावा, सब्जियों और फलों के उत्पादन को बढ़ाने और किसानों को मुनाफे वाली कीमतें प्रदान करने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत, कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए फसल विविधीकरण, सतत खेती प्रथाओं, संचित फसल भंडारण और बेहतर सिंचाई सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी। साथ ही, किसानों को लघु और दीर्घकालिक ऋण की आसान पहुंच प्रदान की जाएगी।
दालों के लिए अहम योजनाएं
पीएम धन-धान्य कृषि योजना के तहत 100 जिलों में जहां उत्पादकता कम है और ऋण कम बंटता है, वहां विशेष ध्यान दिया जाएगा। नाफेड (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) और एनसीसीएफ अगले चार वर्षों में दालों की खरीद करेंगे, जो व्यापारियों और किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है।
इसके साथ ही, सरकार युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए एक ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन कार्यक्रम लॉन्च करने की योजना बना रही है। इस पहल से दालों के व्यापार में वृद्धि की उम्मीद है, क्योंकि आत्मनिर्भरता की दिशा में यह कदम दालों की उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा।
व्यापार और निवेश के लिए अवसर
दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने के लिए सरकार की यह योजना व्यापार और निवेश के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर सकती है। दालों के आयात पर निर्भरता कम होने से भारतीय बाजार में दालों के व्यापार में वृद्धि होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, कृषि क्षेत्र में सुधारों के चलते दालों की खरीद और आपूर्ति प्रणाली में बदलाव आ सकता है, जो व्यापारियों और उत्पादकों के लिए लाभकारी हो सकता है।