केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन वर्ष 2025-26 के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 ग्रेड) का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5,650/- प्रति क्विंटल तय किया है, जो उत्पादन लागत पर 66.8% की वापसी सुनिश्चित करता है। यह पिछले वर्ष की तुलना में ₹315/- अधिक है और 2014-15 के ₹2,400/- प्रति क्विंटल से 2.35 गुना बढ़ोतरी को दर्शाता है। जूट उद्योग 40 लाख किसानों और 4 लाख श्रमिकों की आजीविका का स्रोत है, जिसमें 82% उत्पादन पश्चिम बंगाल से होता है। जूट निगम ऑफ इंडिया (JCI) मूल्य समर्थन संचालन जारी रखेगा, और घाटे की भरपाई केंद्र सरकार करेगी।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने विपणन वर्ष 2025-26 के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 ग्रेड) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी है।
विपणन वर्ष 2025-26 के लिए कच्चे जूट का MSP ₹5,650/- प्रति क्विंटल तय किया गया है। यह अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत पर 66.8% की वापसी सुनिश्चित करेगा। यह MSP 2018-19 के बजट में घोषित सरकार की नीति के अनुरूप है, जिसमें MSP को उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर तय करने का प्रावधान किया गया था।
वर्ष 2024-25 के मुकाबले कच्चे जूट का MSP ₹315/- प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। वर्ष 2014-15 में कच्चे जूट का MSP ₹2,400/- प्रति क्विंटल था, जिसे 2025-26 में ₹5,650/- प्रति क्विंटल तक बढ़ाया गया है। यह ₹3,250/- प्रति क्विंटल (2.35 गुना) की वृद्धि है।
2014-15 से 2024-25 के बीच जूट किसानों को MSP के तहत ₹1,300 करोड़ का भुगतान किया गया, जबकि 2004-05 से 2013-14 के बीच यह आंकड़ा ₹441 करोड़ था।
जूट उद्योग और किसानों को लाभ
जूट उद्योग 40 लाख किसानों की आजीविका का सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से सहारा है। इसके अलावा, लगभग 4 लाख श्रमिकों को जूट मिलों और व्यापार में सीधा रोजगार मिलता है। पिछले वर्ष सरकार ने 1 लाख 70 हजार किसानों से जूट की खरीद की थी।
भारत में जूट उत्पादन का 82% हिस्सा पश्चिम बंगाल में है, जबकि असम और बिहार में यह हिस्सा 9% है।
जूट निगम की भूमिका
केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी, जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (JCI), मूल्य समर्थन संचालन (Price Support Operations) को जारी रखेगी। इन संचालन के दौरान होने वाले किसी भी घाटे की भरपाई केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से की जाएगी।