केंद्र सरकार ने अरहर दाल के ड्यूटी-फ्री आयात की अवधि 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी, जिससे किसान असमंजस में हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक में अरहर के दाम गिरकर 7,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं, जबकि पिछले साल यह 12,000 रुपये था। अखिल भारतीय दाल मिल एसोसिएशन ने इस फैसले को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य 9,000 रुपये करने की मांग की है। ड्यूटी-फ्री आयात से मसूर, चना, उड़द और पीली मटर समेत सभी दलहनों के दाम गिर गए हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
भारत में अरहर (तुअर) दाल की खेती करने वाले किसान सरकार के हालिया फैसले से असमंजस में हैं। केंद्र सरकार ने अरहर दाल के ड्यूटी-फ्री आयात की अवधि एक साल और बढ़ा दी है।
20 जनवरी 2025 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीनस्थ विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर कहा, "तुअर दाल के ड्यूटी-फ्री आयात की नीति को 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है।"
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख अरहर उत्पादक राज्यों के किसान अपनी फसल मंडियों में बेचने की तैयारी कर रहे हैं। लातूर (महाराष्ट्र) के एक प्रमुख दाल व्यापारी अभय शाह के अनुसार, "पिछले साल किसानों को अरहर का भाव 12,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिला था, लेकिन इस साल यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी नीचे गिर गया है। सरकार के फैसले के बाद कोई भी किसान की उपज खरीदने को तैयार नहीं है। व्यापारी आयातित दाल का इंतजार कर रहे हैं, जबकि मंडियों में वर्तमान में अरहर का भाव 7,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है।"
अखिल भारतीय दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे किसानों को भारी नुकसान होगा और देश की दलहन आत्मनिर्भरता भी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने अरहर के लिए MSP को बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है।
सरकार ने मई 2021 से तुअर दाल को "फ्री कैटेगरी" में डालकर ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति दी थी और तब से इसे लगातार बढ़ाया जा रहा है।
वर्तमान में भारत में अरहर, मसूर, चना, उड़द और पीली मटर सहित सभी प्रमुख दलहनों का ड्यूटी-फ्री आयात जारी है, केवल मूंग दाल को इससे बाहर रखा गया है। इस वजह से घरेलू बाजार में अरहर, मसूर और चना के भाव MSP से नीचे पहुंच गए हैं। उदाहरण के तौर पर चना का MSP 5,650 रुपये है, लेकिन यह उससे भी कम कीमत पर बिक रहा है, और नई आवक के साथ इसके भाव और गिरने की संभावना है।
भारत मुख्य रूप से म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और कनाडा से दलहन आयात करता है। अरहर और उड़द का अधिकतर आयात अफ्रीकी देशों और म्यांमार से होता है, जबकि चना, मटर और मसूर का आयात ऑस्ट्रेलिया, रूस और कनाडा से किया जाता है।
हालांकि सरकार ने बजट भाषणों में कई बार देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की बात कही है, लेकिन लगातार आयात निर्भरता से भारतीय किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।