अमेरिकी टैरिफ के दबाव में आरबीआई आज कर सकता है रेपो रेट में दूसरी कटौती, व्यापार और बाजारों की निगाहें टिकीं

अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था पर बढ़ते दबाव को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) आज मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती कर सकता है। व्यापार जगत और बाजार विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक.........

International 09 Apr
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नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025 (कृषि व्यापार): अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था पर बढ़ते दबाव को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) आज मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती कर सकता है। व्यापार जगत और बाजार विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक, आरबीआई रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.00% कर सकता है।

अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर हाल ही में लगाए गए 26% टैरिफ ने भारतीय निर्यात को गहरा झटका दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की जीडीपी वृद्धि दर पर 20 से 40 बेसिस पॉइंट तक का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके मद्देनज़र, वैश्विक वित्तीय संस्था गोल्डमैन सैक्स ने भारत की 2025 की वृद्धि दर का अनुमान 6.3% से घटाकर 6.1% कर दिया है।

रेट कट के साथ ही आरबीआई के मौद्रिक नीति रुख में बदलाव की भी संभावना जताई जा रही है। यदि केंद्रीय बैंक अपने मौजूदा 'न्यूट्रल' स्टांस को 'अकोमोडेटिव' में बदलता है, तो यह संकेत होगा कि वह भविष्य में आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और भी रेट कट की संभावनाएं बनाए रखेगा। इससे बाजार को दरों में दीर्घकालिक नरमी का भरोसा मिलेगा — खासतौर पर व्यापार, निर्माण, निर्यात और कृषि क्षेत्र को राहत मिल सकती है।

फॉरेक्स मार्केट में रुपया दबाव में
इधर, विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये की स्थिति भी चिंता का विषय बनी हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपया दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया है। कमजोर चीनी युआन और आयातकों की डॉलर मांग के चलते रुपये पर अतिरिक्त दबाव देखा गया है। इस असंतुलन को संभालने के लिए आरबीआई पहले से ही ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) और फॉरेक्स स्वैप्स जैसे उपकरणों का उपयोग कर तरलता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

बाजार की रणनीति पर होगा असर
आज की मौद्रिक नीति बैठक से यह स्पष्ट संकेत मिल सकते हैं कि वैश्विक अनिश्चितताओं, अमेरिकी संरक्षणवाद, और घरेलू आर्थिक सुस्ती के बीच आरबीआई आगे किस प्रकार की रणनीति अपनाएगा। ब्याज दरों में कटौती से ऋण सस्ता होगा, जिससे निवेश, खपत और व्यापारिक गतिविधियों को गति मिल सकती है।

इस पृष्ठभूमि में व्यापारिक वर्ग, निवेशक, आयातक-निर्यातक और कृषि आधारित उद्योग आरबीआई की नीति घोषणाओं की ओर उम्मीदभरी निगाहों से देख रहे हैं।

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