यूएस डॉलर इंडेक्स (जून कॉन्ट्रैक्ट) मंगलवार को ICE पर 98.850 तक पहुंच गया, जिसमें 0.22% की मजबूती दर्ज की गई। यह तेजी ऐसे वक्त में आई है जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था कमजोर संकेत दे रही है और वैश्विक व्यापार तनाव लगातार बढ़ रहे हैं।
सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका का ISM मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स मई में घटकर 48.5% पर आ गया – लगातार तीसरे महीने गिरावट। विशेषज्ञ इसे व्यापार नीतियों की अनिश्चितता और ग्लोबल सप्लाई चेन में रुकावट का असर मान रहे हैं।
इसी बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने स्टील आयात पर टैरिफ 50% तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया, जिससे चीन के साथ व्यापार युद्ध और गहराया। चीन ने इसे खारिज करते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
हालांकि इन तमाम दबावों के बीच डॉलर ने येन, यूरो और ऑस्ट्रेलियन डॉलर जैसे प्रमुख करेंसीज के मुकाबले मजबूती दिखाई, क्योंकि निवेशक अब अमेरिका के आगामी आर्थिक आंकड़ों पर नज़र गड़ाए हुए हैं।
कमोडिटी बाजार पर असर:
डॉलर की मजबूती से क्रूड ऑयल, बेस मेटल्स और एग्री कमोडिटीज़ जैसी डॉलर-मूल्यवर्गित वस्तुएं अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए महंगी हो गई हैं, जिससे मांग पर असर पड़ सकता है। इसका नतीजा – कमोडिटी बाजारों में सतर्कता और कीमतों में संभावित दबाव।