नई दिल्ली: कृषि मंत्रालय ने मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत वर्ष 2024-25 के लिए 13.20 लाख टन तुवर की खरीदी को मंजूरी दी है, जिसमें अब तक 12,335 टन की खरीदी पूरी हो चुकी है। देश में कम उत्पादन के चलते लगातार दो वर्षों से तुवर के दाम मजबूत बने हुए हैं। ऐसे में सरकार बफर स्टॉक बढ़ाने और किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, तुवर का उत्पादन इस साल कम रहने के कारण मूल्य MSP से 30% अधिक बना हुआ है, जिससे पिछले दो वर्षों (2022-23 और 2023-24) के दौरान सरकारी एजेंसियों की PSS के तहत खरीदी प्रभावित हुई थी। फिलहाल, तुवर का बफर स्टॉक मात्र 35,000 टन रह गया है, जो निर्धारित 10 लाख टन के मानक से काफी कम है और उसमें भी अधिकतर स्टॉक आयातित माल का है।
सरकार ने खरीफ सीजन में बंपर फसल के बावजूद तुवर के कर मुक्त आयात की समय-सीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दी है। नाफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियां आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र में सक्रिय रूप से तुवर की खरीदी कर रही हैं।
वर्ष 2024-25 के लिए 40 लाख टन से अधिक तुवर के उत्पादन का अनुमान है, जिससे आगामी हफ्तों में कीमतों में नरमी की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष का उत्पादन 2023-24 के 34.10 लाख टन के मुकाबले मामूली बढ़त के साथ 35 लाख टन रहने का अनुमान है। इसके अलावा, इस वर्ष लगभग 10 लाख टन तुवर के आयात का भी अनुमान है, जिससे सप्लाई में सुधार होगा और कीमतों में गिरावट आ सकती है।
भारत म्यांमार, मोजांबिक, तंजानिया और सूडान से तुवर का आयात करता है, और जनवरी-नवंबर 2024 के दौरान तुवर का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 42% बढ़कर 11.40 लाख टन हो गया है। सरकार ने मई 2021 से तुवर के आयात को मुफ्त श्रेणी में रखा है और समय-समय पर इसकी अवधि को बढ़ाते हुए घरेलू मांग और कीमतों को संतुलित करने का प्रयास कर रही है।