भारत ब्राज़ील से दालों और खाद्य तेलों के आयात को बढ़ाकर घरेलू आपूर्ति सुधारने की योजना में

भारत ब्राज़ील से दालों और खाद्य तेलों का आयात बढ़ाकर घरेलू आपूर्ति सुधारने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की योजना बना रहा है। ब्राज़ील उड़द, कैरीओका बीन्स और सूरजमुखी तेल के निर्यात में सहयोग करेगा। डेयरी उत्पादकता बढ़ाने के लिए दोनों देश मवेशियों की नस्ल सुधार पर भी काम कर सकते हैं।

International 23 Dec 2024  Financial Express
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भारत अपनी आयात निर्भरता को कुछ गिने-चुने देशों तक सीमित रखने के बजाय, ब्राज़ील से दालों और खाद्य तेलों की आपूर्ति बढ़ाने की योजना बना रहा है। इस कदम से घरेलू आपूर्ति में कमी को पूरा करने और प्रतिस्पर्धा व बेहतर मूल्य निर्धारण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

भारतीय राजदूत सुरेश के रेड्डी ने कहा कि ब्राज़ील से खाद्य तेलों और दालों की आपूर्ति बढ़ाने से "प्रतिस्पर्धा और बेहतर मूल्य" मिल सकते हैं, जिससे घरेलू बाजार में सुधार होगा।

वर्तमान आयात स्थिति:
भारत अपनी कुल उपभोग की 58% आवश्यकता के लिए खाद्य तेल और 15% आवश्यकता के लिए दालों का आयात करता है।
ये आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूक्रेन, म्यांमार, मोज़ाम्बिक और मलावी से होते हैं।

ब्राज़ील पहले से ही भारत को बड़ी मात्रा में उड़द (काला चना) सप्लाई कर रहा है। इस वर्ष ब्राज़ील का उड़द उत्पादन 2023 के 6,000 टन से बढ़कर 75,000 टन तक पहुंच गया है। इस उत्पादन में से 60,000 टन भारत को निर्यात किया गया है। अगले साल ब्राज़ील उड़द उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रख रहा है।

ब्राज़ील के दालों की विविधता:
रेड्डी ने बताया कि ब्राज़ील के पास "कैरीओका बीन्स" नामक एक दाल की किस्म है, जो राजमा के समान है और प्रोटीन से भरपूर व किफायती है। इसे भारत में आयात करने पर विचार किया जाना चाहिए ताकि प्रोटीन की कमी को दूर किया जा सके।

खाद्य तेल आयात:
भारत हाल के वर्षों में सोयाबीन तेल का आयात बढ़ा रहा है।
अब ब्राज़ील से सूरजमुखी तेल आयात करने की योजना बनाई जा रही है।

ब्राज़ील के कृषि और पशुपालन मंत्रालय के सचिव लुइस रुआ ने कहा, "हम भारतीय अधिकारियों के साथ फाइटोसैनिटरी समझौते को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं। इससे हम भारत को दालों और खाद्य तेलों के भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बन सकेंगे।"

डेयरी क्षेत्र में सहयोग:
ब्राज़ील ने 19वीं और 20वीं सदी में भारत से गीर, ओंगोल, रेड सिंधी और कांकरेज नस्ल के ज़ेबू मवेशियों का आयात किया। ब्राज़ील ने गीर और होल्स्टीन मवेशियों को मिलाकर "गीरोलैंडो" नस्ल विकसित की, जो उष्णकटिबंधीय जलवायु में टिकाऊ है और अधिक दूध उत्पादन देती है।
ब्राज़ील में गीरोलैंडो नस्ल देश के कुल दूध उत्पादन का 80% योगदान करती है।
इसका औसत दूध उत्पादन 30-40 लीटर प्रतिदिन है, जो भारत के औसत 15-16 लीटर से कहीं अधिक है।

लुइस रुआ ने सुझाव दिया कि भारतीय कंपनियां ब्राज़ील के ज़ेबू ब्रीडर्स एसोसिएशन (ABCZ) के साथ काम कर सकती हैं ताकि मवेशियों की जेनेटिक गुणवत्ता को सुधारने में मदद मिले।

भारत में डेयरी उत्पादन की स्थिति:
हालांकि भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, लेकिन छोटी डेयरी इकाइयों और पिछले दशक में जेनेटिक सुधार की कमी के कारण उत्पादकता अपेक्षाकृत कम है।

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