भारत में सर्दी रहेगी सामान्य से गर्म, गेहूं की पैदावार पर मंडराया खतरा

भारत में इस बार सर्दी का मौसम सामान्य से अधिक गर्म रहने की संभावना है, जिसे लेकर गेहूं, सरसों और चने जैसी रबी फसलों की पैदावार पर खतरा मंडरा रहा है। भारत मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार को बताया कि दिसंबर से फरवरी के बीच न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा और ठंड के दिनों में कमी दर्ज की जाएगी।

Weather 05 Dec  The Economics Times
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भारत में इस बार सर्दी का मौसम सामान्य से अधिक गर्म रहने की संभावना है, जिसे लेकर गेहूं, सरसों और चने जैसी रबी फसलों की पैदावार पर खतरा मंडरा रहा है। भारत मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार को बताया कि दिसंबर से फरवरी के बीच न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा और ठंड के दिनों में कमी दर्ज की जाएगी।

रबी फसलों की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर के बीच होती है और उनकी वृद्धि और पकने के लिए ठंडा मौसम बेहद जरूरी होता है। अगर सर्दियों के तापमान में वृद्धि होती है, तो इसका सीधा असर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ सकता है।

गेहूं उत्पादन पर असर और बढ़ती कीमतें
भारत, जो चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है, को कम उत्पादन की स्थिति में अपने 1.4 अरब लोगों के लिए सस्ती आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गेहूं का आयात करना पड़ सकता है। इसके साथ ही दालों और खाद्य तेलों का आयात भी बढ़ सकता है। हालांकि, अब तक नई दिल्ली ने रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के बावजूद गेहूं के आयात का विरोध किया है ताकि किसानों के हितों को सुरक्षित रखा जा सके।

2022 और 2023 में भी असामान्य गर्मी के कारण भारत के गेहूं उत्पादन में गिरावट आई थी, जिससे सरकारी भंडार में भारी कमी हो गई थी। इस साल, दिल्ली में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड 32,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई हैं, जो अप्रैल के 25,000 रुपये से अधिक और सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 22,750 रुपये से काफी ज्यादा है।

सरकारी प्रयास
गेहूं की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने और बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के लिए, सरकार ने अपने राज्य भंडार से आटा मिलों और बिस्किट निर्माताओं जैसे थोक उपभोक्ताओं को 2.5 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं बेचने की योजना बनाई है।

कृषि व्यापार के लिए महत्वपूर्ण संदेश
रबी फसलों के लिए बदलते मौसम और बढ़ते तापमान का यह प्रभाव कृषि व्यापार से जुड़े हर व्यक्ति के लिए अहम है। फसल की स्थिति पर नजर रखना और सरकार की नीतियों के अनुसार व्यापारिक रणनीति तैयार करना जरूरी होगा।

(यह जानकारी भारत मौसम विभाग और कृषि व्यापार विशेषज्ञों के बयानों पर आधारित है।)