नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: देश में सस्ती पीली मटर के भारी आयात और आपूर्ति बढ़ने से इसकी उपलब्धता बढ़ गई है, जिससे चना, तुअर, उड़द और मसूर जैसी अन्य दालों की मांग कम हो गई है और इनके दामों पर दबाव बना हुआ है। अब सरकार को पीली मटर के आयात को रोकने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि दिसंबर 2023 में जिस उद्देश्य से इसके शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी गई थी, वह पूरा हो चुका है।
वर्ष 2024 के दौरान पीली मटर के साथ-साथ उड़द, तुअर और देसी चने के आयात में भारी वृद्धि हुई, जबकि मसूर के आयात में गिरावट आई, लेकिन इसकी मात्रा अभी भी 10 लाख टन से अधिक रही। सरकार का उद्देश्य घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ाकर दालों की कीमतों को नियंत्रित करना था, जो अब पूरा हो चुका है, लेकिन किसानों को उनके उत्पाद के उचित और लाभदायक दाम मिलने में कठिनाई हो रही है।
सरकार ने पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की समय सीमा 28 फरवरी 2025 तक बढ़ा दी है। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) के अध्यक्ष का कहना है कि सरकार को तुरंत पीली मटर के आयात पर रोक लगानी चाहिए, क्योंकि अब तक लगभग 30 लाख टन का भारी आयात हो चुका है। इसके कारण व्यापारियों और किसानों के हित प्रभावित हो रहे हैं, वहीं अन्य दालों की मांग और खपत भी घट रही है, क्योंकि उपभोक्ताओं को पीली मटर के रूप में सस्ता विकल्प मिल रहा है।
फिलहाल, पीली मटर का भाव 32 रुपये प्रति किलोग्राम और इससे बनी दाल का भाव 40 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि अन्य प्रमुख दालों के दाम 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हैं। वर्ष 2024 में देश में 29.68 लाख टन पीली मटर का आयात हुआ, जिससे कुल दालों का आयात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 66.33 लाख टन हो गया।
इस बीच, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में चना की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। छावनी अनाज मंडी में नया batla 3500 रुपये प्रति क्विंटल बिका। सोमवार को निमाड़ की करही मंडी में डॉलर चना (कधूर) मुहूर्त में 10711 रुपये प्रति क्विंटल में बिका। इंदौर में काबुली चने की कमी के कारण इसकी कीमतों में गिरावट जारी रही और शनिवार को कंटेनर में काबुली चना करीब 2 रुपये और सस्ता हो गया।