किसानों और ट्रेडर्स के लिए एक बड़ा झटका! भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने गेहूं, मूंग, धान (गैर-बासमती), चना, कच्चा पाम तेल, सरसों और सोयाबीन सहित 7 प्रमुख कृषि जिंसों के डेरिवेटिव कारोबार पर लगी रोक को .....पूरी खबर पढ़ने के लिए Amotraade डाउनलोड करें
नयी दिल्ली, 24 मार्च 2025 – किसानों और ट्रेडर्स के लिए एक बड़ा झटका! भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने गेहूं, मूंग, धान (गैर-बासमती), चना, कच्चा पाम तेल, सरसों और सोयाबीन सहित 7 प्रमुख कृषि जिंसों के डेरिवेटिव कारोबार पर लगी रोक को मार्च 2026 तक बढ़ाने का फैसला किया है। पहले यह प्रतिबंध मार्च 2025 तक था, लेकिन अब इसे एक साल और आगे बढ़ा दिया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम खाद्य कीमतों और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है, लेकिन किसान और व्यापारियों के लिए यह खबर अच्छी नहीं मानी जा रही।
इस फैसले का असर अब बाजार पर भी साफ दिखने लगेगा। मौजूदा सौदे तो पूरे किए जा सकेंगे, लेकिन नए वायदा सौदे नहीं होंगे, जिससे स्टॉकिस्टों की रणनीति बदल सकती है और मंडी बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है। जानकारों का कहना है कि वायदा कारोबार पर रोक से किसानों को हेजिंग (जोखिम प्रबंधन) का फायदा नहीं मिलेगा, जिससे बाजार में और ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
अगर पीछे के फैसलों पर नजर डालें तो 19 दिसंबर 2021 को पहली बार यह प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे 2022 और 2023 में हर साल बढ़ाया जाता रहा। 31 जनवरी 2025 को इसे दो महीने के लिए और बढ़ाया गया, और अब सीधे मार्च 2026 तक का विस्तार कर दिया गया है। यह फैसला सरकार की महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिशों का हिस्सा माना जा रहा है, लेकिन इससे किसानों और व्यापारियों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह रोक सही है? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसानों को नुकसान होगा क्योंकि वे हेजिंग का फायदा नहीं उठा पाएंगे, जबकि सरकार का तर्क है कि यह कदम सट्टेबाजी और अस्थिरता को रोकने के लिए जरूरी है।