पीएसएस के तहत सोयाबीन की खरीद पर धीमी गति, किसानों को कम लाभ
सरकार की मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत सोयाबीन की खरीद नवंबर 18 तक स्वीकृत 32.24 लाख टन में से केवल 2.6% ही हो पाई है। हालांकि नमी मानदंड को 12% से बढ़ाकर 15% किया गया है, लेकिन यह निर्णय देर से लागू हुआ, जिससे किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका।
सरकार की मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत सोयाबीन की खरीद नवंबर 18 तक स्वीकृत 32.24 लाख टन में से केवल 2.6% ही हो पाई है। हालांकि नमी मानदंड को 12% से बढ़ाकर 15% किया गया है, लेकिन यह निर्णय देर से लागू हुआ, जिससे किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका।
प्रमुख बिंदु:
- खरीद के आंकड़े: तेलंगाना ने अपनी स्वीकृत मात्रा का 55% खरीद लिया है, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में खरीद प्रक्रिया बेहद धीमी है।
- महाराष्ट्र और कर्नाटक का हाल: महाराष्ट्र ने 13.08 लाख टन के मुकाबले सिर्फ 13,402 टन की खरीद की है, जबकि कर्नाटक में 1.03 लाख टन स्वीकृत मात्रा के मुकाबले मात्र 636 टन की खरीद हुई है।
- मंडी भाव: सोयाबीन का औसत मंडी भाव ₹4,152 प्रति क्विंटल चल रहा है, जो ₹4,892 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम है।
- नमी मानदंड में छूट: नई छूट से 15% तक नमी वाले सोयाबीन की खरीद को अनुमति दी गई है, लेकिन किसानों को इसके लाभ मिलने में देर हो गई है।
- उत्पादन अनुमान: इस साल सोयाबीन का सरकारी उत्पादन अनुमान 133.6 लाख टन है, जबकि उद्योग विशेषज्ञ इसे घटाकर 125.82 लाख टन मान रहे हैं।
किसानों की चुनौतियां और बाजार की स्थिति
- निजी खरीदार 10% नमी तक के सोयाबीन पर कम कीमत दे रहे हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।
- देरी से लागू नीति और खरीद प्रक्रिया की धीमी रफ्तार के कारण मंडी भाव MSP से नीचे बने हुए हैं।
- विशेषज्ञों का कहना है कि खरीद प्रक्रिया फरवरी 2025 तक धीमी बनी रह सकती है, जिससे किसानों को राहत मिलने की संभावना कम है।
निष्कर्ष
सोयाबीन की खरीद में देरी और नमी मानदंड में देर से छूट ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। बाजार में कमजोर भाव और धीमी खरीद के चलते आने वाले महीनों में भी किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।