म्यांमार में उड़द (ब्लैक ग्राम) की कीमतें मई की शुरुआत से अब तक लगभग स्थिर बनी हुई हैं, लेकिन किसानों और व्यापारियों के बीच चिंता बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण भारत से मांग में कमी और घरेलू बाजार में बढ़ती आपूर्ति है।
म्यांमार के आयावाड़ी क्षेत्र के व्यापारियों ने बताया कि मई महीने की शुरुआत से उड़द की कीमतों में कोई खास बदलाव नहीं आया है। भारत की दाल मिलों की ओर से कम खरीद होने के कारण म्यांमार के बाजारों में उड़द के दाम नीचे दबे हुए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, भारत के मध्यप्रदेश राज्य से बड़ी मात्रा में उड़द की आवक हो रही है, जिससे घरेलू बाजार संतृप्त हो गया है और आयातित उड़द की मांग कम हो गई है।
पिछले साल से सस्ती हुई उड़द, किसान परेशान
म्यांमार में इस साल उड़द के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे हैं। जबकि किसानों की लागत बढ़ी है—बीज, खाद, कीटनाशक और डीजल जैसे इनपुट पर ज्यादा खर्च हो रहा है। ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि इस साल बेहतर कीमतें मिलेंगी, लेकिन बाजार की स्थिति ने उन्हें निराश किया है।
भारत में 31% ज्यादा आयात, फिर भी पैदावार घटने का डर
भारत ने इस वित्त वर्ष में 31 प्रतिशत अधिक उड़द का आयात किया है। यह वृद्धि देश में उड़द की बढ़ती खपत को दिखाती है। हालांकि, हाल के महीनों में खराब मौसम और असमय बारिश के कारण भारत में दालों की पैदावार पर असर पड़ा है। ऐसे में व्यापारियों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में उड़द की कीमतों में फिर से तेजी आ सकती है।
उड़द के फ्री इम्पोर्ट की सीमा अब मार्च 2026 तक
भारत सरकार ने 10 मार्च 2025 को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए उड़द के मुक्त आयात (Free Import) की नीति को मार्च 2026 तक के लिए बढ़ा दिया। यह फैसला देश में उड़द की बढ़ती मांग को देखते हुए लिया गया है। यह नीति विदेशी व्यापार महानिदेशालय (DGFT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा घोषित की गई थी।
भारत-म्यांमार के बीच विशेष समझौता जारी
भारत म्यांमार से सबसे अधिक उड़द और तुअर दाल का आयात करता है। दोनों देशों के बीच 18 जून 2021 को हुए एक सरकारी समझौते (MoU) के तहत भारत हर साल म्यांमार से 2.5 लाख टन उड़द और 1 लाख टन तुअर (अरहर) दाल का आयात करेगा। यह समझौता वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक लागू रहेगा और भारत के नियमित आयात कोटे से अलग है।
यह सरकारी-से-सरकारी (G-to-G) समझौता होने के कारण इससे म्यांमार के निर्यातकों को भारत में स्थायी बाजार उपलब्ध हुआ है। व्यापारी मानते हैं कि इस समझौते ने म्यांमार के उड़द व्यापार को स्थिरता दी है, लेकिन बाजार की स्थिति और विदेशी मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव अभी भी उनके लिए जोखिम बने हुए हैं।
उड़द सिर्फ म्यांमार में विशेष, अन्य दालें अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से
म्यांमार पल्सेस, बीन्स, मक्का और तिल व्यापारी संघ के अनुसार, उड़द एक ऐसी दाल है जो विशेष रूप से म्यांमार में उगाई जाती है। इसके विपरीत, तुअर, मूंग और चना जैसी दालें अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों में भी होती हैं। यही कारण है कि भारत के लिए म्यांमार उड़द का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है।
म्यांमार से भारत को मुख्य रूप से उड़द और तुअर निर्यात किए जाते हैं, जबकि मूंग की दाल चीन और यूरोप के बाजारों में जाती है।