देशभर में गेहूं के दामों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। दिल्ली मंडी में कल 100 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे व्यापारियों और किसानों में चिंता बढ़ गई है। सुबह बाजार ₹3025 प्रति क्विंटल पर खुला, लेकिन दिनभर की सुस्ती के चलते शाम तक ₹2975 प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरकार द्वारा ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं टेंडर की मात्रा बढ़ाने के फैसले से पिछले कुछ दिनों में गेहूं के दामों में.......पूरी खबर पढ़ने के लिए Amotrade डाउनलोड करें
देशभर में गेहूं के दामों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। दिल्ली मंडी में कल 100 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे व्यापारियों और किसानों में चिंता बढ़ गई है। सुबह बाजार ₹3025 प्रति क्विंटल पर खुला, लेकिन दिनभर की सुस्ती के चलते शाम तक ₹2975 प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरकार द्वारा ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं टेंडर की मात्रा बढ़ाने के फैसले से पिछले कुछ दिनों में गेहूं के दामों में 350 रुपये तक की गिरावट आ चुकी है। बीते सप्ताह भी 110 रुपये की गिरावट के बाद सप्ताह के अंत में 100 रुपये की तेजी देखी गई थी, लेकिन इस हफ्ते फिर से मंदी के संकेत मिल रहे हैं।
गेहूं उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, सरकारी खरीद पर रहेगा दबाव
रबी सीजन 2024-25 में गेहूं उत्पादन 11.54 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो एक नया रिकॉर्ड होगा। बुवाई क्षेत्र में वृद्धि और अनुकूल मौसम के चलते उत्पादन बढ़ा है। सरकार ने अगले खरीफ सीजन (2025-26) के लिए 3.2 करोड़ टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने किसानों को बोनस देने का ऐलान किया है, जिससे वहां गेहूं का प्रभावी एमएसपी ₹2600 प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गया है।
बाजार में गिरावट जारी, आगे और मंदी की संभावना
वर्तमान में गेहूं का भाव ₹3000 प्रति क्विंटल के आसपास बना हुआ है, जो एमएसपी से 24% अधिक है। लेकिन बढ़ते उत्पादन और सरकारी खरीद में बदलाव से बाजार पर दबाव बढ़ सकता है। व्यापारियों का मानना है कि अच्छी पैदावार से कीमतों में और गिरावट आ सकती है, जिससे सरकारी भंडार को भरने में मदद मिलेगी। यदि घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें और गिरती हैं, तो निर्यात की संभावनाएं भी खुल सकती हैं।
अन्य रबी फसलों का उत्पादन और बाजार पर असर
गेहूं के अलावा अन्य रबी फसलों के उत्पादन में भी बदलाव देखा गया है। इस साल सरसों का उत्पादन 1.28 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 3% कम है। वहीं, चना का उत्पादन 1.15 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल से अधिक है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 33.1 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है।
किसानों के लिए निजी व्यापारियों से अच्छे दाम
कई किसान सरकारी खरीद की तुलना में निजी व्यापारियों को अपनी उपज बेचकर बेहतर कीमतें प्राप्त कर रहे हैं। सरकार द्वारा बोनस योजना लागू करने और खरीद लक्ष्य बढ़ाने से किसानों को एमएसपी से ऊपर भाव मिलने की उम्मीद है। हालांकि, बाजार में मंदी के रुझान को देखते हुए व्यापारियों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि आने वाले हफ्तों में गेहूं की कीमतें और कमजोर हो सकती हैं।