गेहूं की बुवाई 31.22 मिलियन हेक्टेयर पर पहुंची, जो पिछले पांच वर्षों के औसत के बराबर है और पिछले साल से 2.46% अधिक है। नियमित उत्पादन की उम्मीद के बीच लंबे मानसून और सामग्री की देरी से कुछ क्षेत्रों में चुनौतियां बनीं। रबी फसलों में सरसों की बुवाई औसत से अधिक, लेकिन चने की बुवाई औसत से कम रही।
भारत ने पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति फरवरी 2025 तक बढ़ा दी है। FY24 में 2 मिलियन टन का रिकॉर्ड आयात हुआ, जिसमें अधिकांश हिस्सेदारी ऑस्ट्रेलिया की रही। यह व्यापारियों के लिए आपूर्ति श्रृंखला और आयात को मजबूत करने का बड़ा अवसर है।
गेहूं की बुवाई सामान्य स्तर पर, व्यापारिक उम्मीदें मजबूत
20 दिसंबर तक गेहूं की बुवाई 31.22 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो पिछले पांच वर्षों के औसत सामान्य क्षेत्र (31.23 मिलियन हेक्टेयर) के लगभग बराबर है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 2.46% अधिक है। यदि मौसम अनुकूल रहता है, तो इस सीजन में गेहूं का नियमित उत्पादन होने की संभावना है। हालांकि, लंबे मानसून और सामग्री की देर से उपलब्धता के कारण कुछ क्षेत्रों में बुवाई में देरी हुई है, जिससे व्यापारिक गतिविधियों पर हल्का असर पड़ सकता है।
रबी फसलों की बात करें तो, सरसों की बुवाई का क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में कम है, लेकिन पांच वर्षों के औसत से अधिक है। वहीं, चने की बुवाई पिछले वर्ष से अधिक लेकिन औसत सामान्य क्षेत्र से कम रही। यह स्थिति इन फसलों के व्यापार में संभावित उतार-चढ़ाव का संकेत देती है।
पीली मटर के आयात में बड़ा अवसर
भारत सरकार ने पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति फरवरी 2025 तक बढ़ा दी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2 मिलियन टन पीली मटर का आयात हुआ, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसमें से अधिकांश आयात ऑस्ट्रेलिया से हुआ, जिसने हाल के वर्षों में कनाडा को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनने का दर्जा हासिल किया है।
पीली मटर के आयात में वृद्धि और लंबी अवधि तक शुल्क-मुक्त अनुमति से व्यापारिक संभावनाओं में इजाफा होने की उम्मीद है। कारोबारियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, खासकर आयात और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए।