चना आयात पर 10% शुल्क फिर लागू, मंडियों में तेजी, बाजार की नजर MSP खरीद पर

सरकार द्वारा चना (बंगाल ग्राम) के आयात पर फिर से 10% आयात शुल्क लगाने का असर बाजार में दिखने लगा है। गुरुवार को प्रमुख चना मंडियों में.............पूरी खबर पढ़ने के लिए Amotraade डाउनलोड करें

Business 29 Mar
marketdetails-img

नई दिल्ली: सरकार द्वारा चना (बंगाल ग्राम) के आयात पर फिर से 10% आयात शुल्क लगाने का असर बाजार में दिखने लगा है। गुरुवार को प्रमुख चना मंडियों में ₹200 तक की तेजी दर्ज की गई। हालांकि, ऊंचे भावों पर खरीदार अधिक उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा डिमांड में कमजोरी के दो प्रमुख कारण हो सकते हैं—
1️⃣ बाजार में अस्थिरता (अनिश्चितता)
2️⃣ वित्तीय वर्ष का समापन

सरकार के फैसले से किसानों को राहत, ट्रेड एसोसिएशन ने किया स्वागत

मई 2024 में चने के आयात पर शुल्क हटाया गया था ताकि घरेलू आपूर्ति बढ़ाई जा सके और कीमतों को स्थिर रखा जा सके। हालांकि, इस बार सरकार ने स्थानीय किसानों को समर्थन देने और दालों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के उद्देश्य से फिर से 10% आयात शुल्क लागू कर दिया है।

इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) के चेयरमैन बिमल कोठारी ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया और कहा कि पिछले सप्ताह चना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे बिक रहा था, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा था। उनका मानना है कि सरकार का यह निर्णय विदेशी निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा में बनाए रखने और घरेलू बाजार को स्थिर करने के लिए लिया गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 10% ड्यूटी का असर लंबे समय तक नहीं रहेगा, क्योंकि मसूर की तरह चना भी धीरे-धीरे बाजार में स्थिर हो जाएगा।

क्या चना की कीमतें और बढ़ेंगी?

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में चना की कीमतों में और मजबूती देखने को मिल सकती है। इसके पीछे तीन प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं:
🔹 सरकार द्वारा MSP पर खरीदारी में तेजी
🔹 बाजार में स्थिरता आने की संभावना
🔹 बढ़ती प्रोजेक्टेड डिमांड

खेती मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान (28 फरवरी) के अनुसार:
✅ इस साल चना उत्पादन 12.16 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल से थोड़ा कम है, लेकिन औसत उत्पादन (2018-19 से 2022-23) से अधिक है।
अरहर उत्पादन 3.34 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 3.31 मिलियन टन के करीब है।
मसूर उत्पादन 1.64 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल के 1.56 मिलियन टन से अधिक है।

पीली मटर के आयात पर भी रोक लगाने की मांग

बिमल कोठारी ने कहा कि "सरकार का यह कदम सही दिशा में है, लेकिन पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात को भी बंद किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे भारतीय किसानों को नुकसान हो रहा है।"

सरकार का ‘दाल आत्मनिर्भरता मिशन’ – किसानों को मिलेगा फायदा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में ‘पल्सेज में आत्मनिर्भरता मिशन’ की घोषणा की। इस मिशन का उद्देश्य अरहर, उड़द और मसूर जैसी दालों के उत्पादन को बढ़ावा देना है।

इस मिशन के तहत:
जलवायु-सहनशील बीजों के विकास पर जोर
दालों की प्रोटीन सामग्री और उत्पादकता में सुधार
कटाई के बाद भंडारण और प्रबंधन को मजबूत करना
MSP पर सरकारी खरीद सुनिश्चित करना

इसके तहत, नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) अगले चार वर्षों तक किसानों से MSP पर दालों की खरीद करेंगे।

भारत में दालों का बढ़ता आयात – चिंता का विषय?

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक है। हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण आयात पर निर्भरता बढ़ी है।
📌 2023 में भारत का दालों का आयात 3.31 मिलियन टन था, जो 2024 में बढ़कर 6.63 मिलियन टन हो गया।
📌 यह देश की कुल खपत (27 मिलियन टन) का लगभग 25% है।

क्या होगा आगे?

विशेषज्ञों का मानना है कि चना की कीमतें अब निचले स्तर पर हैं और आगे केवल मजबूती की संभावना है। सरकार द्वारा MSP पर खरीद और बढ़ती मांग से बाजार में स्थिरता आएगी। आने वाले दिनों में कीमतों में और उछाल संभव है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह फैसला भारतीय किसानों और चना व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित होगा। 🚜📈

Related News

Market Rates

Chana

View ->


Ground Nut

View ->


Wheat

View ->


Soybean

View ->



Moong

View ->