पिछले सप्ताह सोयाबीन बाजार में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव देखने को मिला। पिछली साप्ताहिक रिपोर्ट में बिकवाली की सलाह के बाद से भावों में लगभग 150–200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। हालिया तेजी का लाभ उठाने के लिए व्यापारियों द्वारा पुराने स्टॉक की बिकवाली ने भी इस कमजोरी को और गहरा किया।
बुवाई की बात करें तो 13 अगस्त तक कृषि विभाग के अनुसार 119.510 लाख हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है, जबकि सोप (SOPA) के सर्वे में यह आंकड़ा 115.208 लाख हेक्टेयर सामने आया है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में फसल को नुकसान की जानकारी है, लेकिन समग्र रूप से फसल की स्थिति अच्छी मानी जा रही है। आकर्षक दामों की कमी के कारण इस वर्ष बुवाई का क्षेत्रफल पिछले वर्ष की तुलना में कम बताया जा रहा है।
स्टॉक के मोर्चे पर जुलाई तक कुल 96 लाख टन सोयाबीन की आवक रही, जो गत वर्ष से 10% कम है। वहीं, अक्टूबर से जुलाई के बीच सोयाबीन की क्रशिंग भी 8% घटकर 104.5 लाख टन पर आ गई। अगस्त की शुरुआत में किसानों, स्टॉकिस्टों और प्लांट्स के पास लगभग 15.13 लाख टन का स्टॉक उपलब्ध था, जो पिछले वर्ष से 44% कम है। सरकारी एजेंसियों के पास 6 लाख टन का अतिरिक्त स्टॉक मिलाकर कुल उपलब्धता 21.13 लाख टन तक पहुँचती है, जो नई फसल आने तक पर्याप्त मानी जा रही है।
आगे की संभावनाओं को देखते हुए पर्याप्त स्टॉक, सोयमील में मुनाफावसूली और ऊँचे दामों पर डिमांड की कमी के चलते भावों में कमजोरी जारी रहने की आशंका है। वर्तमान में भारतीय सोयमील, ब्राजील, अर्जेंटीना और अमेरिका के सोयमील की तुलना में 125–145 डॉलर प्रति टन महंगा है। अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ में ढील देने से चीन की मांग दक्षिण अमेरिकी सोयमील की ओर ज्यादा रहने की उम्मीद है। इस बीच मध्य प्रदेश के मंदसौर मंडी में नई फसल की आमद शुरू हो चुकी है और जैसे-जैसे कटाई आगे बढ़ेगी, सोयाबीन के भावों में और करीब 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट संभव है। महाराष्ट्र के कीर्ति प्लांट का समर्थन स्तर 4650 रुपये पर देखा जा रहा है, जिसके आस-पास बाजार स्थिर हो सकता है।