भारत सरकार अगस्त महीने से खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत गेहूं की बिक्री शुरू कर सकती है और मार्च 2026 तक 60–70 लाख टन गेहूं की नीलामी के जरिए बिक्री की योजना है। व्यापार सूत्रों के अनुसार, इस बार गेहूं की आरक्षित कीमत ₹2,550 प्रति क्विंटल तय की गई है, जो कि परिवहन लागत को छोड़कर है। यह कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2,425 प्रति क्विंटल से अधिक है।
यह निर्णय एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा लिया गया है, जिसकी अगुवाई व्यय सचिव ने की। गेहूं की बिक्री की मात्रा और समय तय करने की जिम्मेदारी अब भारतीय खाद्य निगम (FCI) और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के बीच समन्वय से तय की जाएगी। बिक्री से पहले FCI को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), बफर स्टॉक और किसी आकस्मिक आवश्यकता के लिए 20 लाख टन अतिरिक्त गेहूं सुरक्षित रखना होगा।
सरकार को PDS के लिए लगभग 200 लाख टन और अप्रैल 1 की बफर स्टॉक आवश्यकता के अनुसार 75 लाख टन गेहूं की जरूरत होती है, यानी कुल 295 लाख टन से अधिक का स्टॉक होने पर ही बिक्री की जा सकती है। चालू सीजन में 30 जून तक सरकार ने रिकॉर्ड 300.35 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले वर्ष के 265.95 लाख टन से 34 लाख टन अधिक है। इस खरीदी के चलते 1 जुलाई तक सेंट्रल पूल में गेहूं का भंडार 365 लाख टन से अधिक हो गया है।
एक प्रमुख फ्लोर मिलर के अनुसार, चूंकि इस बार रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है और सरकारी गोदामों में पर्याप्त स्टॉक है, इसलिए कीमतें पहले से ही स्थिर हैं और OMSS के तहत उतनी मांग नहीं बन सकती जितनी पिछले साल थी। कई फ्लोर मिलर्स और बड़ी कंपनियों ने अगले 4–6 महीनों के लिए पहले ही भंडारण कर लिया है।
समिति ने निजी मिलर्स को ‘भारत ब्रांड’ के तहत खुदरा बिक्री के लिए सरकारी स्टॉक से गेहूं नहीं देने का निर्णय लिया है, लेकिन NAFED, NCCF और केंद्रीय भंडार जैसी सहकारी संस्थाओं को ₹2,550 प्रति क्विंटल की दर से गेहूं देने की अनुमति दी गई है। साथ ही सामुदायिक रसोई चलाने वाले NGO और अन्य संगठनों को भी यही दर लागू होगी।
पिछले साल FCI ने औसतन ₹2,800 प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचा था, जबकि आरक्षित मूल्य ₹2,464 प्रति क्विंटल था। पहले दौर की नीलामी में औसत बिक्री दर ₹2,885 प्रति क्विंटल रही थी, जो अंतिम दौर में घटकर ₹2,712 पर आ गई। साप्ताहिक बिक्री की शुरुआत 1 लाख टन से हुई थी और इसे बढ़ाकर 5 लाख टन तक किया गया। केवल प्रोसेसर्स को ही भाग लेने की अनुमति थी और व्यापारी इससे बाहर रखे गए थे। शुरुआत में एक प्रोसेसर के लिए 100 टन की सीमा थी जिसे बाद में बढ़ाकर 400 टन कर दिया गया।
2021-22 में रिकॉर्ड 433.4 लाख टन गेहूं की खरीद के बाद से सरकार का हर साल लक्ष्य चूकता रहा है, लेकिन इस बार के अच्छे उत्पादन से फिर से एक बड़ा अवसर नजर आ रहा है।