मार्च 2025 में ऑस्ट्रेलिया ने केवल 73,783 टन चना और 1,31,447 टन मसूर का निर्यात किया, जो पिछले महीने की तुलना में क्रमशः 75% और 11% की गिरावट दर्शाता है। यह गिरावट खासतौर पर भारत द्वारा चना आयात पर 31 मार्च को पुनः लागू किए गए शुल्क के कारण देखी गई है।
ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (ABS) के अनुसार, फरवरी 2025 में 2,94,333 टन चना का निर्यात हुआ था, जबकि मार्च में यह आंकड़ा गिरकर सिर्फ 73,783 टन रह गया। भारत, जिसने अकेले मार्च में 34,110 टन चना आयात किया, अब भी सबसे बड़ा आयातक रहा, लेकिन यह दिसंबर 2024 में भारत द्वारा आयातित 5.28 लाख टन की तुलना में बेहद कम है।
मार्च में चने के अन्य प्रमुख खरीदारों में पाकिस्तान (30,750 टन) और संयुक्त अरब अमीरात (4,217 टन) शामिल रहे। इसके अलावा, बांग्लादेश ने पूरे सीजन में कुल 2.23 लाख टन चना आयात किया, जिसमें मार्च में सिर्फ 1,083 टन ही शामिल रहे, यह दर्शाता है कि अधिकांश व्यापार सीजन के पहले हिस्से में हुआ।
ABARES के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया ने 2024-25 के सीजन में अनुमानित 2.27 मिलियन टन चना उत्पादन में से करीब 85% (1.93 मिलियन टन) अक्टूबर से मार्च के बीच ही निर्यात कर दिया। इसका मुख्य कारण भारत को टैरिफ-मुक्त अवधि में अधिकतम चना निर्यात करना रहा।
मसूर की बात करें तो, मार्च में 1,31,447 टन मसूर का निर्यात हुआ, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (36,584 टन) सबसे बड़ा बाजार बना। भारत (27,200 टन) दूसरे स्थान पर रहा, जबकि पाकिस्तान (23,504 टन) और बांग्लादेश (22,699 टन) क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहे। श्रीलंका ने भी 18,223 टन मसूर खरीदी।
इस सीजन में मसूर की मांग कई बाजारों में बटी हुई है। अक्टूबर से मार्च तक कुल 7.71 लाख टन मसूर का निर्यात हुआ है, जो कि अनुमानित 11.6 लाख टन फसल का करीब दो-तिहाई हिस्सा है। इसका मतलब है कि मसूर का पर्याप्त स्टॉक अभी बाकी है, जो आगामी महीनों में निर्यात के लिए उपलब्ध रहेगा।
इस व्यापारिक परिदृश्य से साफ है कि ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों ने भारत की शुल्क-मुक्त खिड़की का भरपूर लाभ उठाया, खासकर चने के मामले में, जबकि मसूर जैसी फसलों के लिए बहु-बाजारी मांग बनी रही है।