8 मार्च को चीन ने घोषणा की कि वह 20 मार्च 2025 से कनाडा से आयात किए जाने वाले मटर पर 100% आयात शुल्क लगाएगा। इस फैसले के चलते चीन को कनाडा से मटर आयात करना आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हो जाएगा, जिससे दोनों देशों को नए व्यापारिक साझेदारों की तलाश करनी होगी। इस कदम का असर वैश्विक मटर व्यापार पर भी पड़ सकता है, क्योंकि चीन कनाडा के मटर का एक बड़ा खरीदार रहा है।
इसी बीच, NAFED भोपाल शाखा ने 17 मार्च 2025 से चना (PSS/PSF), मसूर (PSS/PSF), और सरसों (PSS) की ई-नीलामी को अगली सूचना तक निलंबित करने की घोषणा की है। हालांकि, उड़द (PSS/PSF), मूंग, सोयाबीन और तूर की ई-नीलामी सामान्य रूप से जारी रहेगी।
बीते सप्ताह के दौरान मटर की मांग कमजोर रहने से इसकी कीमतों में 200-250 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, सरकार द्वारा मटर के आयात की समय सीमा 31 मई 2025 तक बढ़ाने के फैसले से बाजार का सेंटीमेंट और कमजोर हुआ है। वर्तमान में, देश के विभिन्न पोर्ट्स पर लगभग 6.50 लाख टन मटर का स्टॉक उपलब्ध होने का अनुमान है, जिससे आपूर्ति में कोई कमी नहीं दिख रही है।
इस समय देश में नई मटर की आवक शुरू हो चुकी है और आयात खुलने के कारण भाव पर दबाव बना हुआ है। हालांकि, इस साल मटर की बोआई कमजोर रही है, लेकिन उत्पादकता अच्छी रहने की उम्मीद है। दूसरी ओर, कनाडा और रूस से आयातित मटर की कीमतें घरेलू बाजार की तुलना में 150-200 रुपये प्रति क्विंटल अधिक हैं, जिससे आयात की गति फिलहाल धीमी बनी हुई है। रूस में मटर का स्टॉक सीमित बताया जा रहा है और कनाडा से आपूर्ति को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है।
मटर के भविष्य की बात करें तो छोटे और बड़े व्यापारियों के पास अच्छा-खासा स्टॉक उपलब्ध है, लेकिन कीमतों में कमजोरी के चलते वे बिकवाली कर रहे हैं। आयात समय सीमा बढ़ने के कारण मटर में किसी बड़ी तेजी की संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है। ऐसे में व्यापारियों और निवेशकों के लिए मटर में सीमित और जरूरतानुसार कारोबार करना ही सही रणनीति होगी, क्योंकि भाव अभी और गिर सकते हैं।