आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में अनाज के अति-उत्पादन को रोकने और दाल-खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाने की सिफारिश की गई है। किसानों को सही बाजार मूल्य संकेत देने, उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग को रोकने और जल-बिजली गहन फसलों की खेती घटाने पर जोर दिया गया है। FY17-FY23 में कृषि क्षेत्र की औसत वृद्धि 5% रही, जबकि Q2 FY25 में यह 3.5% रही। सर्वेक्षण में **PM-KISAN** जैसी योजनाओं के प्रभाव को सकारात्मक बताते हुए डिजिटल तकनीक और निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत बताई गई है, जिससे किसानों की आय बढ़े और आयात निर्भरता घटे।
नई दिल्ली, 31 जनवरी 2025: संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भारत की कृषि नीति में बदलाव की सिफारिश की गई है, जिसमें अनाज (cereals) के अति-उत्पादन को हतोत्साहित करने और दालों व खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वर्तमान में अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में दाल और खाद्य तेलों का आयात करता है, जिसे कम करने के लिए नीति सुधार आवश्यक हैं। सर्वेक्षण में तीन प्रमुख नीतिगत बदलावों की जरूरत बताई गई है—किसानों को बाजार से वास्तविक मूल्य संकेत (price signals) प्राप्त करने देना, उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग को रोकना और पहले से ही अधिक उत्पादन वाली जल और बिजली-गहन फसलों की खेती को हतोत्साहित करना।
रिपोर्ट के अनुसार, FY17-FY23 के दौरान कृषि क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि 5% रही, जबकि Q2 FY25 में यह 3.5% दर्ज की गई, जो पिछली चार तिमाहियों की 0.4% - 2.0% की वृद्धि दर से बेहतर है। कृषि क्षेत्र का GDP में 16% योगदान है और यह 46.1% भारतीय आबादी को रोजगार प्रदान करता है। सर्वेक्षण में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन को किसानों के लिए आय के वैकल्पिक स्रोत के रूप में उभरता हुआ क्षेत्र बताया गया है, लेकिन साथ ही जलवायु परिवर्तन और जल संकट जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए लक्षित सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत बताई गई है।
रिपोर्ट में डिजिटल तकनीक और निजी निवेश को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। e-NAM जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से कृषि बाजारों की संरचना को मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है। वहीं, PM-KISAN योजना के तहत 11 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं और PMKMY पेंशन योजना में 23.61 लाख किसानों का पंजीकरण हुआ है (अक्टूबर 2024 तक)। सरकार ने निजी क्षेत्र से आग्रह किया है कि वह छोटे किसानों के लिए निवेश बढ़ाए और खाद्यान्न भंडारण प्रणाली के आधुनिकीकरण में योगदान दे, खासतौर पर दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में।
सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र की अविकसित संभावनाओं को उजागर करते हुए सरकार से नीतिगत बदलावों को तेजी से लागू करने की सिफारिश की गई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और देश की दाल-खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम की जा सके।