मुंद्रा (गुजरात), अप्रैल 2025:
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (AI-ECTA) के तहत, ऑस्ट्रेलिया से भारत को भेजा गया पहला कोटा आधारित मसूर दाल (लेंटिल्स) का माल गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर उतर गया है। इस पर केवल 50% आयात शुल्क लगाया गया है।
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख कृषि कंपनी Viterra द्वारा पोर्ट लिंकन से भेजे गए इस 21,000 टन के कार्गो को मार्च के अंत में मुंद्रा में उतारा गया।
अब तक का सबसे अहम शिपमेंट
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यह शिपमेंट मार्च में भारत आने वाला एकमात्र बल्क कार्गो माना जा रहा है।
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इसकी अनुमानित कीमत लगभग 21 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर बताई जा रही है।
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यह सुविधा अब उस शुल्क-मुक्त अवधि की जगह ले रही है, जो 2021 से लागू थी और 31 मार्च 2025 को समाप्त हो गई।
Viterra के सीईओ फिलिप ह्यूजेस ने कहा,
“ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय सरकारों के समझौते के चलते, हमारे उत्पादक इस प्रीमियम मार्केट तक पहुंच बना पाए हैं।दक्षिण ऑस्ट्रेलियाई मसूर दाल की गुणवत्ता विश्व स्तर पर मानी जाती है।”
कोटा नियम और शर्तें
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मसूर दाल का कोटा प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की तिमाही के अनुसार चलता है – हर तिमाही में 37,500 टन निर्धारित है।
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कोई भी अप्रयुक्त कोटा अगले क्वार्टर में स्थानांतरित किया जा सकता है।
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कोटा का आवंटन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर होता है।
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कोटा पाने के लिए शिपमेंट की अनुमति लेने के 3 सप्ताह के भीतर निर्यात जरूरी होता है।
अगर कोटा से चूके तो 11% शुल्क लागू
जो शिपमेंट कोटा में शामिल नहीं हो पाते, उन पर 11% आयात शुल्क लगाया जाता है। एक ट्रेडर ने बताया कि,
"अगर कोई शिपमेंट रास्ते में है और कोटा से चूक गया, तो कई आयातक लागत का बोझ निर्यातकों पर डाल देते हैं।"
चना निर्यात पर भी असर
चना (चिकपी) भी अब टैरिफ फ्री श्रेणी से बाहर हो चुका है और उस पर भी 11% आयात शुल्क लागू हो गया है। हालांकि, चने पर कोई कोटा या 50% छूट नहीं दी गई है।
ऑस्ट्रेलिया से चना-लेंटिल निर्यात जारी रहने की उम्मीद
कमज़ोर ऑस्ट्रेलियन डॉलर की वजह से यह उम्मीद की जा रही है कि 11% शुल्क के बावजूद भारत को दालों का निर्यात जारी रह सकता है।
वर्तमान में चने की मांग पाकिस्तान से तेज़ हो गई है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं: