भारत सरकार ने पीली मटर (Yellow Peas) के आयात पर शून्य शुल्क की छूट 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी है, जिससे कनाडाई मटर उत्पादकों को बड़ी राहत मिली है। यह छूट पहले 31 मई 2025 को समाप्त होने वाली थी।
जेएलवी एग्रो के प्रबंध निदेशक विवेक अग्रवाल ने इस निर्णय को कनाडाई किसानों और भारतीय उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक बताया, हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय व्यापारियों में इस फैसले को लेकर असंतोष है क्योंकि फिलहाल बाजार में दालों की भरमार है।
उन्होंने अनुमान जताया कि इस फैसले के बाद भारत में दलहन कीमतें स्थिर रह सकती हैं या थोड़ी गिरावट आ सकती है।
चीन द्वारा हाल ही में कनाडाई मटर पर 100% आयात शुल्क लगाने के बाद यह राहत और अहम हो गई है। कनाडा ने 2024 में चीन को 5 लाख टन पीली मटर (करीब 306 मिलियन डॉलर मूल्य) भेजी थी, जबकि पांच साल का औसत 1.5 मिलियन टन (740 मिलियन डॉलर) सालाना रहा है। अगर भारत भी बंद होता तो कनाडा के लिए यह एक बड़ा झटका होता।
AgPulse Analytica के अनुसार, भारत 2025-26 में 10 से 20 लाख टन पीली मटर आयात कर सकता है, जो मौजूदा वर्ष के 23 लाख टन के मुकाबले थोड़ा कम होगा। विवेक अग्रवाल के अनुसार यह आंकड़ा यथार्थपरक है।
इस व्यापार में रूस और कनाडा दोनों प्रमुख आपूर्तिकर्ता होंगे। रूस इस साल 45 से 50 लाख टन मटर का उत्पादन कर सकता है, जबकि कनाडा का अनुमानित उत्पादन 31.3 लाख टन रहेगा।
रूसी किसान पुराने माल के लिए US$360 प्रति टन और नए फसल के लिए जुलाई/अगस्त डिलीवरी पर US$345 प्रति टन की दर से मटर बेचने को तैयार हैं। विवेक अग्रवाल के अनुसार, यदि कनाडा को भारतीय बाजार बनाए रखना है, तो उसे रूसी कीमतों से मेल खाने के लिए अपने निर्यात मूल्य में कटौती करनी होगी।
उन्होंने सुझाव दिया कि यदि चीन उच्च कीमत देने को तैयार हो, तो रूस चीन को मटर भेज सकता है और कनाडा भारत को।