भारत में चावल के निर्यात मूल्य में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट दर्ज की गई है। रुपये की कीमत में कमी और बढ़ती आपूर्ति के कारण 5% टूटे परबॉइल्ड चावल की कीमत इस हफ्ते $440-$447 प्रति मीट्रिक टन रही, जो पिछले साल जुलाई के बाद सबसे कम है।
मुंबई/हनोई/बैंकॉक/बांग्लादेश: भारत में चावल के निर्यात मूल्य में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट दर्ज की गई है। रुपये की कीमत में कमी और बढ़ती आपूर्ति के कारण 5% टूटे परबॉइल्ड चावल की कीमत इस हफ्ते $440-$447 प्रति मीट्रिक टन रही, जो पिछले साल जुलाई के बाद सबसे कम है। पिछले हफ्ते यह कीमत $442-$449 थी। इसके अलावा, भारतीय 5% टूटे सफेद चावल का भाव $440-$450 प्रति टन तक पहुंच गया है।
एक कोलकाता-स्थित व्यापारी के अनुसार, रुपये में गिरावट ने निर्यातकों को कीमतें कम करने के लिए प्रेरित किया है। इस वजह से अफ्रीकी देशों से चावल की मांग बढ़ रही है क्योंकि अब वे इसे पिछले महीने की तुलना में काफी कम दामों पर खरीद सकते हैं।
पिछले महीने, भारत सरकार ने परबॉइल्ड चावल पर निर्यात कर को हटा दिया और गैर-बासमती सफेद चावल के लिए $490 प्रति टन की न्यूनतम निर्यात कीमत को समाप्त कर दिया था। इसका उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना था, और इसका असर अब चावल के निर्यात में देखा जा रहा है।
वहीं, वियतनाम में 5% टूटे चावल की कीमत $520-$525 प्रति टन पर स्थिर है। मेकोंग डेल्टा क्षेत्र के व्यापारियों के अनुसार, वहां आपूर्ति घट रही है और एक संभावित तूफान के चलते बारिश होने की आशंका है, जिससे बाजार में आपूर्ति को लेकर चिंता बनी हुई है। इस हफ्ते की एक निविदा में वियतनाम को बुलोग से नवंबर और दिसंबर में 80,000 टन चावल की आपूर्ति का आदेश मिला है।
वियतनाम ने अक्टूबर में 800,000 मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया, जो पिछले साल की तुलना में 29.1% अधिक है। वहीं, थाईलैंड में 5% टूटे चावल का भाव $490 प्रति टन पर स्थिर है, जो पिछले हफ्ते $485-$495 के बीच था। थाईलैंड में डॉलर की मजबूती के कारण कीमतों में स्थिरता देखी जा रही है। एक बैंकॉक-स्थित व्यापारी ने बताया कि थाईलैंड में सामान्य ग्राहकों की ओर से मांग स्थिर है।
इसी बीच, बांग्लादेश ने भी 50,000 मीट्रिक टन चावल की खरीद के लिए एक अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की है। बाढ़ के कारण बांग्लादेश में लगभग 11 लाख मीट्रिक टन चावल की फसल नष्ट हो गई है, जिससे वहां खाद्यान्न की कीमतों में उछाल और आपूर्ति को लेकर चिंता बनी हुई है।