देशभर की मंडियों में सरसों की कीमतों में एक बार फिर मजबूती देखने को मिल रही है। इसकी प्रमुख वजह है आवक में आई गिरावट और मीलों से लगातार बनी मजबूत मांग। अप्रैल की शुरुआत में जहां मंडियों में प्रतिदिन 11 से 11.5 लाख बोरी सरसों की आवक हो रही थी, वहीं अब यह घटकर लगभग 8 लाख बोरी प्रतिदिन पर आ गई है। इस गिरती हुई आवक ने बाजार को सपोर्ट देना शुरू कर दिया है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार की आवक कमजोर बताई जा रही है। दूसरी ओर, सरसों तेल की मांग में सुधार साफ तौर पर देखा जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि वैश्विक बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में कमजोरी के बावजूद सरसों तेल की घरेलू मांग ने इसे प्रभावित नहीं होने दिया।
बाजार में सक्रियता बढ़ने लगी है और स्टॉकिस्टों ने भी फिर से रुचि दिखानी शुरू कर दी है। महेश एडिबल ने सरसों के भाव में 125 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की है, जो बाजार के मूड को दर्शाता है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि मांग का समर्थन सरसों के भाव को मजबूती दे रहा है।
इसके अतिरिक्त, सरकारी खरीद प्रक्रिया की शुरुआत और आवक में आई निरंतर गिरावट से बाजार में यह धारणा बन रही है कि आने वाले दिनों में सरसों में मजबूती का रुख बरकरार रह सकता है। व्यापारियों और निवेशकों की नजर अब इस ट्रेंड पर टिकी हुई है कि क्या यह तेजी स्थायी रूप से बनी रह सकेगी या इसमें कुछ और उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।