सरसों की भारी आवक के चलते इसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। दैनिक आवक 12 लाख बोरी से अधिक पहुंच गई है, जिससे बाजार में गिरावट देखी जा रही है। हालांकि, सरसों खली (डीओसी) की निर्यात मांग बढ़ने से इसमें मजबूती आई है, जिससे सरसों की गिरावट पर कुछ हद तक लगाम लगी है। दूसरी ओर, सरसों तेल में कमजोरी बनी हुई है, जिससे ऊपरी स्तरों पर दबाव देखने को मिल रहा है। निर्यात मांग में सुधार होने से डीओसी में मजबूती दर्ज की गई है, और बाजार सूत्रों के अनुसार 35,000 से 50,000 टन के सौदे किए गए हैं। यदि कीमतें ₹2000 प्रति क्विंटल से नीचे गिरती हैं, तो इसमें लंबी अवधि के लिए खरीदारी निकलने की संभावना है। अप्रैल से जून के बीच खली में एक उछाल देखने को मिल सकता है, जिससे व्यापारियों के लिए अवसर बन सकता है।
सरसों की बढ़ती आवक और अन्य तेलों की कमजोरी के कारण सरसों तेल की कीमतों में 3-4 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है। मौजूदा स्तर पर लंबी अवधि के लिए सरसों तेल का स्टॉक करना एक बेहतर रणनीति हो सकती है क्योंकि कीमतें आकर्षक हैं। जयपुर सरसों तेल के लिए ₹1250 एक मजबूत सपोर्ट स्तर माना जा रहा है, जिससे लंबी अवधि के निवेशक इस स्तर पर खरीदारी शुरू कर सकते हैं। साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में कम रहने का अनुमान है। जयपुर सरसों ₹6025 के प्रमुख सपोर्ट स्तर के करीब पहुंच गई है, और विशेषज्ञों के अनुसार, ₹5800-₹6000 के बीच सरसों का बॉटम बनने की संभावना है। अप्रैल की शुरुआत से एमएसपी पर सरकारी खरीदारी शुरू होने की उम्मीद है, जिससे सरसों को सपोर्ट मिल सकता है। यदि सरसों की कीमतें एमएसपी से नीचे जाती हैं, तो सरकारी खरीद से बाजार में स्थिरता आने की संभावना है।
मौजूदा गिरावट में मार्च के अंत से लंबी अवधि के निवेशक सरसों में खरीदारी शुरू कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखना जरूरी है कि बॉटम बनने के बाद तुरंत कोई बड़ी तेजी नहीं आएगी, और कीमतें कुछ सप्ताह सीमित दायरे में रह सकती हैं। मार्च-अप्रैल के दौरान 25%-25% हिस्सों में खरीदारी करना बेहतर रणनीति होगी, जिससे उतार-चढ़ाव का लाभ मिल सके और निवेश लंबी अवधि के लिए ब्लॉक न हो।
निष्कर्ष:
सरसों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह साफ है कि बाजार में गिरावट का दौर जारी है, लेकिन खली में मजबूती और तेल में लंबी अवधि की खरीदारी के अच्छे मौके बन रहे हैं। सरकारी खरीद शुरू होने के बाद सरसों की कीमतों में स्थिरता देखने को मिल सकती है। व्यापारियों और निवेशकों के लिए यह समय रणनीतिक रूप से खरीदारी करने और गिरावट का लाभ उठाने का है।