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गेहूं बाजार में बारिश का असर, कीमतों में स्थिरता और निर्यात पर रोक जारी

भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में हाल ही में हुई बारिश ने फसल की कटाई और मंडियों में आवक को प्रभावित किया है, जिससे गेहूं बाजार की दिशा में अचानक परिवर्तन देखा गया है। अप्रैल के मध्य में जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं की भारी आवक हुई, तब कीमतों में स्पष्ट गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन .......

Business 05 May
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भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में हाल ही में हुई बारिश ने फसल की कटाई और मंडियों में आवक को प्रभावित किया है, जिससे गेहूं बाजार की दिशा में अचानक परिवर्तन देखा गया है। अप्रैल के मध्य में जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं की भारी आवक हुई, तब कीमतों में स्पष्ट गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन बीते कुछ दिनों में इन राज्यों के कई हिस्सों में वर्षा और खराब मौसम के चलते फसल की कटाई बाधित हुई है और मंडियों में आवक भी घटी है। इसका परिणाम यह हुआ कि कीमतों में गिरावट का क्रम रुक गया और बाजार को थोड़ी मजबूती मिली। दिल्ली की लॉरेंस रोड मंडी में गेहूं का भाव 3 मई को ₹2670 प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जो सप्ताह की शुरुआत में ₹2655 था।

पंजाब में आई तेज़ बारिश ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। कई अनाज मंडियों में खुले में रखी गेहूं की बोरियों में पानी भर जाने से उपज को नुकसान पहुंचा है। पहले से तौली गई और बेचे जा चुके गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित हुई है और भीगे हुए गेहूं को पूरी तरह सूखने में 7 से 10 दिन का समय लग सकता है। इससे मंडियों में आवक और आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ने की आशंका है।

वहीं, केंद्र सरकार का रुख गेहूं के निर्यात को लेकर सख्त बना हुआ है। अधिकारियों के अनुसार, भले ही 2024-25 की सरकारी खरीद 31.3 मिलियन टन के निर्धारित लक्ष्य से अधिक हो जाए, सरकार निर्यात की अनुमति नहीं देगी। इसका मुख्य उद्देश्य बफर स्टॉक को सुरक्षित स्तर पर बनाए रखना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देना है। मई 2022 से जारी निर्यात प्रतिबंध को सरकार ने अब तक बरकरार रखा है।

हालांकि, इस वर्ष गेहूं उत्पादन और सरकारी खरीद दोनों ही पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर हैं। अब तक देश भर में 256.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई 205 लाख मीट्रिक टन की खरीद से अधिक है। सरकार का लक्ष्य इस वर्ष 312 लाख मीट्रिक टन खरीदने का है। प्रमुख उत्पादक राज्यों—पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश—में खरीद प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। इनमें पंजाब सबसे आगे है, जहां अब तक 103.89 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, मौसम की अनिश्चितता और घटती आवक के कारण आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतों में 10 से 20 रुपये प्रति क्विंटल तक का सुधार संभव है। हालांकि दिल्ली मंडी में गेहूं की कीमतें पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर चल रही हैं, इसलिए यह तेजी सीमित रह सकती है। ₹2600 प्रति क्विंटल से नीचे के भाव मिलना अब मुश्किल है, लेकिन पिछले वर्ष जैसी तेज़ी की पुनरावृत्ति की संभावना कम मानी जा रही है।

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