नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर
सप्ताह की शुरुआत में ही देश की प्रमुख मंडियों में दालों के भाव में नरमी का माहौल देखने को मिला। खासकर चना, तुवर और मसूर जैसी प्रमुख दालों में गिरावट का रुख बना रहा। बीते कुछ दिनों की तेज़ी के बाद सोमवार को इन जिंसों में व्यापार कमजोर दिखाई दिया, जिसका प्रमुख कारण बढ़ती आवक, कमजोर डिमांड और आयातित माल का दबाव बताया जा रहा है।
चना में मुनाफावसूली और आवक का असर
चना बाजार में पिछले कुछ दिनों में लगभग ₹500 प्रति क्विंटल की तेजी आई थी, जिससे मंडियों में खरीदारी बढ़ी और स्टॉकिस्टों की सक्रियता दिखी। लेकिन सोमवार को अचानक आई मुनाफावसूली से चना के भाव 100-150 रुपये प्रति क्विंटल तक टूटते देखे गए।
जानकारों का मानना है कि वर्तमान में चना की कुल आवक मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात की मंडियों में बनी हुई है और किसानों द्वारा ऊँचे भाव पर बिक्री करने से व्यापारियों को ऊँचे रेट पर स्टॉक करना घाटे का सौदा लग रहा है।
सरकारी खरीद की धीमी रफ्तार और आयातित माल की उपलब्धता ने भी बाजार को समर्थन नहीं दिया है। हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि महीने के अंत तक एक बार फिर 10% तक की तेजी संभव है, बशर्ते आवक में गिरावट आए और सरकारी खरीद तेज़ हो।
तुवर में भी दबाव, आम की सीजन और आयातित लेमन ने बिगाड़ी रफ्तार
तुवर में भी इस सप्ताह नरमी का रुख रहा। इंदौर में महाराष्ट्र की सफेद तुवर की तुलना में लाल तुवर के दाम ऊँचे रहे, लेकिन लेमन तुवर के दाम आज ₹50 प्रति क्विंटल तक नीचे आए।
आम के सीजन के चलते तुवर दाल की खपत में गिरावट की संभावना जताई जा रही है, जिससे मिलर्स और व्यापारियों की खरीद में सुस्ती बनी हुई है। इसके अलावा, अफ्रीकी देशों से आयातित लेमन तुवर की उपलब्धता भी घरेलू तुवर पर दबाव डाल रही है।
कई व्यापारियों का मानना है कि जब तक आम की सीजन समाप्त नहीं होती और घरेलू मांग में सुधार नहीं आता, तब तक तुवर की तेजी सीमित रहेगी।
मसूर में भी नरमी, बाहरी मांग में सुस्ती
मसूर की कीमतों में भी इस सप्ताह कमजोरी देखने को मिली। बाजार सूत्रों के अनुसार, लोकल और बाहरी दोनों तरह की मांग कमजोर रही, जिससे मसूर के दाम ₹50 से ₹150 प्रति क्विंटल तक गिर गए।
खास तौर पर विदेशी आयात और सस्ते विकल्पों की उपलब्धता से मसूर की तेजी को ब्रेक लग गया है।
अन्य दालों में भी गिरावट का माहौल
दूसरी दालों जैसे मूंग और उड़द में भी दबाव देखने को मिला। मूंग में लगभग ₹100 प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, जबकि उड़द का बाजार भी सुस्त बना रहा।
निष्कर्ष:
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक आवक में स्पष्ट कमी नहीं आती और सरकारी खरीद में मजबूती नहीं दिखती, तब तक pulses बाजार में ठोस तेजी की उम्मीद नहीं की जा सकती। मौजूदा समय में व्यापारी सतर्कता से काम ले रहे हैं और मांग में सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।