देशभर की प्रमुख मंडियों में चना की कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन सरकारी खरीद की रफ्तार अब भी सुस्त बनी हुई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5650 प्रति क्विंटल से नीचे मंडियों में भाव चल रहे हैं, जिससे किसान सरकारी एजेंसियों को बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे। इस सीजन अब तक केवल 0.2 मिलियन टन (2 लाख टन) चना खरीदा गया है, जबकि लक्ष्य 1 मिलियन टन का है।
इस बीच दिल्ली, इंदौर, नागपुर, लातूर, सोलापुर, रायपुर जैसी मंडियों में दाम ₹5900-₹6100 प्रति क्विंटल के बीच देखे गए, जो कि MSP से ऊपर हैं, लेकिन कई मंडियों में अभी भी भाव ₹5400-₹5500 के आसपास हैं। मुंबई और कोलकाता में आयातित चना (ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया) ₹5600-₹6000 पर उपलब्ध है, जिससे घरेलू बाजार पर दबाव बना हुआ है।
काबुली चना की कीमतों में आज गिरावट दर्ज की गई, जिसमें इंदौर में 42-44 काउंट ₹11100 से घटकर ₹11000 हो गया। अन्य वेरायटी जैसे 44-46 और 46-48 काउंट में ₹100 तक की गिरावट दर्ज की गई।
सरकार ने चना की घरेलू उपलब्धता बनाए रखने के लिए दिसंबर 2023 से अब तक 3 मिलियन टन पीली मटर (yellow peas) को ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति दी है, जिसकी अवधि 31 मई 2025 तक है। लेकिन इससे घरेलू चना बाजार में मंदी का माहौल बन गया है। महाराष्ट्र दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सरकार से ड्यूटी-फ्री आयात पर रोक लगाने और बंगाल ग्राम पर 60% आयात शुल्क बहाल करने की मांग की है।
खेती वर्ष 2023-24 में चना उत्पादन घटकर 11 मिलियन टन रह गया था, जिसके कारण सरकार ने आयात नीति में ढील दी थी। हालांकि 2024-25 के लिए उत्पादन 11.53 मिलियन टन रहने का अनुमान है, लेकिन निजी व्यापारियों की बढ़ी हुई खरीद ने सरकारी खरीद में बाधा डाली है।
अब देखना यह होगा कि मंडियों में कीमतों में मजबूती आती है या नहीं, और क्या सरकार MSP खरीद बढ़ाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाती है। चना व्यापार से जुड़े किसान, व्यापारी और एजेंसियां फिलहाल बाजार की दिशा पर नजर बनाए हुए हैं।