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गेहूं की सरकारी खरीद 27% बढ़ी, मध्य प्रदेश बना प्रमुख आपूर्तिकर्ता — खरीद लक्ष्य 322.7 लाख टन तक बढ़ा

चालू रबी विपणन सत्र 2025-26 के तहत देशभर में अब तक 249.29 लाख टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (196.19 लाख टन) की तुलना में 27.6% अधिक है। यह बढ़ोतरी एक ओर जहां मजबूत उत्पादन संकेत देती है, वहीं ............

Business 01 May
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चालू रबी विपणन सत्र 2025-26 के तहत देशभर में अब तक 249.29 लाख टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (196.19 लाख टन) की तुलना में 27.6% अधिक है। यह बढ़ोतरी एक ओर जहां मजबूत उत्पादन संकेत देती है, वहीं सरकार के आक्रामक खरीद कार्यक्रम की भी पुष्टि करती है।

मध्य प्रदेश इस वर्ष सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता राज्य बनकर उभरा है, जहाँ से अब तक 66.09 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा केवल 34.66 लाख टन था। राज्य सरकार द्वारा किसानों को ₹2,425 MSP के साथ ₹175 प्रति क्विंटल बोनस देने का निर्णय किसानों को सरकारी केंद्रों की ओर आकर्षित कर रहा है। इसी के चलते मध्य प्रदेश सरकार ने अपना खरीद लक्ष्य 60 लाख टन से बढ़ाकर 70 लाख टन कर दिया है।

अन्य प्रमुख राज्यों का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है

  • पंजाब: 99.87 लाख टन (पिछले वर्ष: 90.41 लाख टन)

  • हरियाणा: 64.83 लाख टन (पिछले वर्ष: 61.25 लाख टन)

  • राजस्थान: 11.04 लाख टन

  • उत्तर प्रदेश: 7.25 लाख टन

  • बिहार: 13,814 टन

  • गुजरात: 2,748 टन

  • हिमाचल प्रदेश: 1,616 टन

  • उत्तराखंड: 73 टन

सरकार का संशोधित लक्ष्य अब 322.7 लाख टन गेहूं की खरीद का है, जिसे पहले 310 लाख टन निर्धारित किया गया था। यह लक्ष्य बफर स्टॉक मजबूत करने, खाद्य सुरक्षा योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, और ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के अंतर्गत बाजार में स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से तय किया गया है।

उत्पादन परिदृश्य की बात करें तो कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2024-25 में गेहूं उत्पादन 1,154.30 लाख टन रहने का अनुमान है। इस बार 326 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है, जो पिछले साल के 315.6 लाख हेक्टेयर से अधिक है — यह संकेत करता है कि देश रिकॉर्ड उत्पादन की ओर बढ़ रहा है।

बिजनेस इनसाइट:
सरकारी खरीद की यह तेजी निजी व्यापारियों के लिए भी चुनौती और अवसर दोनों लेकर आई है। एक ओर मंडियों में MSP से ऊपर भाव पर ट्रेड हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्टॉकिस्टों और आटा मिलों को अब खरीद निर्णयों में अधिक रणनीति अपनानी होगी, क्योंकि सरकार की आक्रामक खरीद और बड़े लक्ष्य से बाजार आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है।

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