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खाद्य महंगाई कम करने में दालों की अहम भूमिका, सरकार का सप्लाई और कीमतों पर फोकस

इस साल तुअर दाल की बुवाई कम होने से उत्पादन 35 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि खपत 45 लाख टन होगी। मांग पूरी करने के लिए केंद्र सरकार ने तुअर दाल के शुल्क मुक्त आयात को 2026 तक बढ़ा दिया है। इससे दालों की कीमतें घटेंगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। सरकार ने 100% दालों की खरीद एमएसपी पर करने की घोषणा की है, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगे। खरीफ और रबी सीजन में दालों की खेती का रकबा बढ़कर क्रमशः 117.43 और 142 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है। यह कदम महंगाई कम करने और किसानों को लाभ देने में सहायक होगा।

Business 22 Jan  KisanTak
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भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के सचिव ने बताया कि इस साल तुअर दाल की बुवाई सामान्य से कम रही है, और उत्पादन 35 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि खपत 45 लाख टन होगी। केंद्र ने मांग पूरी करने के लिए तुअर दाल के शुल्क मुक्त आयात को 2026 तक बढ़ा दिया है।

खाद्य महंगाई में दालों का बड़ा योगदान है। जुलाई में दालों की महंगाई 14% थी, जो दिसंबर में घटकर 4% रह गई। सरकार के इस फैसले से दालों की कीमतों में और गिरावट की संभावना है। पिछले दो महीने में कीमतें 15-20% तक घटी हैं।

केंद्र ने किसानों के लिए 100% दालों की खरीद एमएसपी पर करने का निर्णय लिया है। सहकारी समितियों को दाल खरीद की जिम्मेदारी दी गई है, और किसानों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए गए हैं।

खरीफ और रबी सीजन में दालों की खेती का रकबा बढ़ा है। खरीफ में यह 117.43 लाख हेक्टेयर और रबी में 142 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया। केंद्र का निर्णय महंगाई नियंत्रण और किसानों को लाभ पहुंचाने में मददगार साबित होगा।

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