पिछले 2-3 दिनों से बासमती चावल और धान के बाजार में गिरावट का माहौल बना हुआ है। बासमती चावल के दाम करीब ₹300 प्रति क्विंटल और धान के दाम ₹200 प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं। इस गिरावट ने किसानों और व्यापारियों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि ज़मीनी स्तर पर जब मंडियों और व्यापारियों से बातचीत की गई तो एक अलग ही तस्वीर सामने आई।
दिल्ली-हरियाणा की नरेला, नजफगढ़, गोहाना और राजस्थान की बूंदी मंडियों में धान की आवक को लेकर मिला-जुला रुख देखा गया। बूंदी में आवक थोड़ी ज़रूर बढ़ी है, लेकिन घबराने जैसी कोई स्थिति नहीं है। नरेला और गोहाना मंडियों में 2000 से 3500 बोरी की आवक दर्ज की गई, जबकि नजफगढ़ मंडी में धान की कोई खास आवक नहीं दिखी। गोहाना मंडी में 1718 किस्म की धान का रेट ₹3950 प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है, जबकि आंतरिक सौदे ₹4300 तक भी हो रहे हैं।
मध्यप्रदेश की मंडियों में PB1 किस्म की धान की आवक में कमी देखी गई है, जिससे इस किस्म के दाम बढ़कर ₹3700 प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। पूसा बासमती चावल के भाव में भी ₹100-₹150 की तेजी देखी गई है, जो यह संकेत देता है कि बासमती बाजार में गिरावट का रुख अस्थायी हो सकता है।
व्यापारियों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ तथाकथित सर्विस प्रोवाइडर्स और एक्सपोर्टर्स की मिलीभगत से बासमती बाजार में जानबूझकर मंदी का माहौल बनाया जा रहा है, जबकि ज़मीनी स्तर पर कोई बड़ी मंदी की वजह नज़र नहीं आ रही। घरौंडा के एक व्यापारी ने बताया कि दो नए एक्सपोर्टर्स ने हाल ही में व्यापार शुरू किया है और चावल की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है। 1718 सेला बासमती के सौदे ₹6700 तक आराम से हो रहे हैं, जो बाज़ार में स्थिरता और सुधार का संकेत देता है।
मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है और बासमती का बाजार जल्द ही संभल जाएगा। व्यापारियों और किसानों से अपील है कि वे घबराएं नहीं और विवेकपूर्वक निर्णय लें।