भारत में गेहूं और चावल का सरकारी भंडारण इस वर्ष अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है, जिससे त्योहारी सीजन से पहले बाजार में स्थिरता बनाए रखने की सरकारी क्षमता कहीं अधिक मजबूत हो गई है। 1 जून 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, चावल (धान सहित) का कुल भंडार 5.95 करोड़ टन तक पहुंच गया, जबकि 1 जुलाई के लिए निर्धारित न्यूनतम बफर आवश्यकता मात्र 1.35 करोड़ टन थी। इसी प्रकार, गेहूं का भंडार 3.69 करोड़ टन रिकॉर्ड किया गया है, जो लक्ष्य 2.76 करोड़ टन से कहीं अधिक है। यह सफल खरीद नीति और किसानों से की गई सक्रिय खरीदी का परिणाम है।
विशेष बात यह है कि चार वर्षों में पहली बार सरकार ने 3 करोड़ टन से अधिक गेहूं की खरीद की है। इस मजबूत भंडारण से सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के ज़रिए घरेलू बाजार में बेहतर नियंत्रण कर सकती है। खासकर आने वाले महीनों में जब त्योहारों की मांग बढ़ेगी, तब यह स्टॉक कीमतों पर नियंत्रण में सहायक सिद्ध होगा। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में OMSS की शुरुआत भी समय से पहले किए जाने की योजना पर जोर है, जिससे अचानक मूल्यवृद्धि की संभावना कम हो जाती है।
मार्च 2025 में भारत ने चावल निर्यात पर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं, जिससे वैश्विक चावल व्यापार में भारत की भूमिका फिर से सशक्त हुई है। इसका लाभ घरेलू बाजार को भी मिल सकता है।
अगर हम बाजार भावों पर नजर डालें तो दिल्ली लारेंस रोड पर गेहूं ₹10 की कमजोरी के साथ ₹2725 प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। अन्य मंडियों में गेहूं के रेट इस प्रकार रहे: चरखी दादरी ₹2555, अमृतसर ₹2600, मथुरा ₹2615 (1% कटौती के साथ), शाहजहांपुर ₹2655, धनबाद ₹2680, कोहिनूर ₹2880, गुवाहाटी ₹2900, लखनऊ ₹2630, मैनपुरी ₹2620, पिलभीत ₹2660–₹2690, गाज़ियाबाद ₹2660–₹2680, रांची ₹2650, बरेली ₹2585, ललितपुर ₹2450–₹2490, ग्वालियर ₹2450–₹2475, जबलपुर ₹2400–₹2550, कोलकाता ₹2860 और नागपुर ₹2680 पर स्थिर भाव देखे गए।
व्यापारिक गतिविधियों में फिलहाल स्थिरता बनी हुई है। थोक व्यापारी पहले से ही स्टॉक कर चुके हैं और मिलर्स सरकारी नीतियों की दिशा साफ होने का इंतजार कर रहे हैं। इन सभी संकेतों के बीच, भंडारण के मजबूत आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि भारत को निकट भविष्य में गेहूं आयात की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और कीमतों में अचानक उछाल की संभावना सीमित है।